लाख नारे लगा लो लाख चिल्ला लो मगर हे नारी तेरी हालत कभी नहीं सुधरने वाली क्योंकि जिन्होंने तेरी ज़िम्मेदारी का ठेका उठा रखा है वो सब दोगले ...
लाख नारे लगा लो लाख चिल्ला लो मगर हे नारी तेरी हालत कभी नहीं सुधरने वाली क्योंकि जिन्होंने तेरी ज़िम्मेदारी का ठेका उठा रखा है वो सब दोगले हैं । तू जलाई जाएगी लूटी जाएगी सड़कों पर पीती जाएगी मगर इन में से कोई तुझे बचने नहीं आएगा । क्योंकि हमें सिर्फ बातें करनी आती हैं धरने देने आते हैं आंसू बहाना आता है बस इसके सिवा कुछ भी नहीं कर सकते ये तमाशबीन लोग । तेल लेने गयी सरकार चाहे केंद्र की हो चाहे राज्य की, अपने घर की इज्ज़त बचने के लिए तुमको सरकार का इंतजार करना पड़ता है क्या ? मैनपुरी में जो हादसा एक महिला के साथ हु कल को वहां खड़े लोगों में से किसी के साथ हो जाये तो क्या वो रास्ता देखेंगे कि कब सरकार के भेजे हुए दूत आयेंगे और हमारी बहन बेटी बहु को बचायेंगे । तुमसे किसी मासूम से बच्चे के नाम पर ज्ञान पलवा लो, फेसबुक पर बकचोदी करवालो ।
तुम्हारे सामने एक औरत को पहले छेड़ा गया फिर उसको बुरी तरह मारा गया मगर तुम लानती लोग खड़े खड़े तमाशा देखते रहे, उसके माथे से खून बहता रहा उसे गलियाँ दे दे कर डंडे से मरते रहे मगर कोई आगे नहीं आया । हाँ मगर घर आकर पोथी भर ज्ञान हग दिया होगा ये कह कर कि इस सरकार में कोई सुरक्षित नहीं है अरे कैसे सुरक्षित रहेगा तुम जैसों के होते हुए । मान लिया सरकारें निकम्मी हैं कुछ नहीं कर रही मगर तुम तो कर सकते थे । भीड़ पर तो वैसे भी कोई कार्यवाही नहीं होती मगर नहीं तुम क्यों करोगे तुम क्यों लड़ोगे तुम्हारी बहन बेटी थोड़े ही थी वो, जब तुम्हारी हो तब लड़ना तब हल्ला मचाना । ये शायद वही हैं जिनके महिलाओं को भेजे संदेशों का स्क्रीनशॉट आये दिनों देखने को मिलता है और फिर भर मन गलियां खाते हैं क्योंकि अगर इनके मन औरत के लिए ज़रा सा भी सम्मान होता तो यूँ तमाशा नहीं देखते ।
जहाँ जंगल का कानून चलता हो वहां राजा के भरोसे बैठना ही मुर्खता है । और कुछ नहीं तो अपने घर की इज्ज़त के लिए तो लड़ा ही जा सकता है । मैं पहले से कहता आया हूँ ये आग है जिसे आपके घर तक पहुँचते ज़्यादा वक्त नहीं लगेगा । हम सब संभल जाएँ नहीं तो हमें भी ऐसा तमाशबीन बनते देर न लगेगी ।
धीरज झा
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