25 के बाद समझदार लड़के लड़कियाँ यूँ ही प्रेम में नही डूबा करते उनकी शोना मोना मेला बाबू वाली उम्र बीत चुकी होती है इस उम्र में प्रेम संबन्धो...
25 के बाद समझदार लड़के लड़कियाँ
यूँ ही प्रेम में नही डूबा करते
उनकी शोना मोना मेला बाबू
वाली उम्र बीत चुकी होती है
इस उम्र में प्रेम संबन्धों के ब्रेकप नही होते
इस उम्र में दिल नहीं टूटते
इस उम्र में ग़मों की मार से
शराब में नहीं डूबा जाता
इस उम्र में चिल्ला कर रोया नहीं जाता
इस उम्र में तो इंसान खुद टूटता है
इस उम्र में तो उम्मीदें अरमान और सपने टूटते हैं
इस उम्र में तो आँसू भी छुप कर बहाने पड़ते हैं
ये उम्र वो उम्र नहीं जब आँखों
से प्यार उतर कर तुरंत सर चढ़ जाए
और बंद कमरे की चंद आहों में
दम तोड़ कर मन से उतर जाए
ये उम्र ज़िम्मेदारियों कि उम्र है
इस उम्र में खेल तमाशे नहीं होते
इस उम्र के जवान हो चुके बच्चे
स्त्री मित्र पुरुष मित्र वाला खेल नहीं खेलते
इस उम्र में हम चुनते हैं
अपना जीवनसाथी
जो सबका हक़ है
इस उम्र में जाँच परख कर हम देते हैं
अपनी ज़िंदगी की लगाम किसी के हाथों में
इस उम्र में हम उसे चाह बैठते हैं
जो हम से ज़्यादा हमें समझता है
अगर तुम इस उम्र में हमारे प्रेम को
बच्चकाना समझते हो
तो भूल कर रहे हो
तुम्हे दो समझदार दिलों को
गलत समझने की सज़ा भी
प्रेम के रूप में ही मिलेगी
तब मैं पूछूँगा तुमसे कि बताओ
25 की उम्र के बाद वाले लड़के लड़कियों
का प्रेम मात्र एक खेल तमाशा है
आशा करूँगा तब भी तुम अपनी
इस ज़हरीली मुस्कान के साथ
हाँ में ही उत्तर दोगे ।
धीरज झा
यूँ ही प्रेम में नही डूबा करते
उनकी शोना मोना मेला बाबू
वाली उम्र बीत चुकी होती है
इस उम्र में प्रेम संबन्धों के ब्रेकप नही होते
इस उम्र में दिल नहीं टूटते
इस उम्र में ग़मों की मार से
शराब में नहीं डूबा जाता
इस उम्र में चिल्ला कर रोया नहीं जाता
इस उम्र में तो इंसान खुद टूटता है
इस उम्र में तो उम्मीदें अरमान और सपने टूटते हैं
इस उम्र में तो आँसू भी छुप कर बहाने पड़ते हैं
ये उम्र वो उम्र नहीं जब आँखों
से प्यार उतर कर तुरंत सर चढ़ जाए
और बंद कमरे की चंद आहों में
दम तोड़ कर मन से उतर जाए
ये उम्र ज़िम्मेदारियों कि उम्र है
इस उम्र में खेल तमाशे नहीं होते
इस उम्र के जवान हो चुके बच्चे
स्त्री मित्र पुरुष मित्र वाला खेल नहीं खेलते
इस उम्र में हम चुनते हैं
अपना जीवनसाथी
जो सबका हक़ है
इस उम्र में जाँच परख कर हम देते हैं
अपनी ज़िंदगी की लगाम किसी के हाथों में
इस उम्र में हम उसे चाह बैठते हैं
जो हम से ज़्यादा हमें समझता है
अगर तुम इस उम्र में हमारे प्रेम को
बच्चकाना समझते हो
तो भूल कर रहे हो
तुम्हे दो समझदार दिलों को
गलत समझने की सज़ा भी
प्रेम के रूप में ही मिलेगी
तब मैं पूछूँगा तुमसे कि बताओ
25 की उम्र के बाद वाले लड़के लड़कियों
का प्रेम मात्र एक खेल तमाशा है
आशा करूँगा तब भी तुम अपनी
इस ज़हरीली मुस्कान के साथ
हाँ में ही उत्तर दोगे ।
धीरज झा
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