अच्छा सुनों एक बात कहूँ जो कभी सामने से कह ना पाया मैं तुमसे कितने वक्त दूर रहा मगर तुम्हारे अहसासों से दूर रह नहीं पाया तुम मेरा पहला प्...
अच्छा सुनों एक बात कहूँ
जो कभी सामने से कह ना पाया
मैं तुमसे कितने वक्त दूर रहा
मगर तुम्हारे अहसासों से दूर रह नहीं पाया
तुम मेरा पहला प्यार थी
तब से मुझे तुम पसंद हो
जब से मुझे प्यार का मतलब
भी नहीं था पता
तुम मेरी पहली चाहत हो
तुम मेरे रूह की राहत हो
अरे ! तुम्हे यकीन नहीं होता ?
अच्छा बताओ मैं
तुमसे दूर हो कर रोता क्यों था
जब डर जाता था तो
तुमसे लिपट कर सोता क्यों था
तुम्हारी हंसी मुझे लुभाती क्यों थी
हर दम तुम्हारी याद मुझे आती क्यों थी
अरे यही तो प्यार था
याद है जब तुम्हे सजा संवरा देख
एक टक तुम्हे निहारता रहता था
बेवजह ही तुम्हारा नाम ले कर
तुम्हे पुकारता रहता था
ये सब पहले प्यार की निशानी ही तो थी
तुम्हारी और मेरी प्रेम कहानी ही तो थी
सबसे पहला नाम तुम्हारा ही पुकारना
शरारत में तुम्हारी लटों को संवारना
ये सब प्यार ही तो था
मगर अफ़सोस फिर मैं बड़ा हो गया
अपने पैरों पर खड़ा हो गया
तुम से दूर रहने लगा
अपने आप में अकेला सा रहने लगा
मगर सच मानना तुमसे दूर रह कर भी
तुम से दूर ना हुआ कभी
और हां ये प्रेम का इज़हार मेरी तरफ से था
तुम तो मेरी सूरत देखने से पहले से
मुझे प्यार करती हो
मैं भले तुमसे कितना भी दूर रहूँ
मगर जनता हूँ
तुम मुझे सबसे ज़्यादा प्यार करती हो
प्यार आशीर्वाद देखभाल मेरी फ़िक्र
हर बात में मेरे ज़िक्र इन सब का
बदला मैं कभी नहीं चूका सकता माँ
बस इतना कह सकता हूँ
तुम मेरे लिए इतनी अनमोल हो
जितना मैं तुम्हारे लिए
मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ माँ
तुम्हारी होने वाली बहु से भी ज़्यादा
धीरज झा
जो कभी सामने से कह ना पाया
मैं तुमसे कितने वक्त दूर रहा
मगर तुम्हारे अहसासों से दूर रह नहीं पाया
तुम मेरा पहला प्यार थी
तब से मुझे तुम पसंद हो
जब से मुझे प्यार का मतलब
भी नहीं था पता
तुम मेरी पहली चाहत हो
तुम मेरे रूह की राहत हो
अरे ! तुम्हे यकीन नहीं होता ?
अच्छा बताओ मैं
तुमसे दूर हो कर रोता क्यों था
जब डर जाता था तो
तुमसे लिपट कर सोता क्यों था
तुम्हारी हंसी मुझे लुभाती क्यों थी
हर दम तुम्हारी याद मुझे आती क्यों थी
अरे यही तो प्यार था
याद है जब तुम्हे सजा संवरा देख
एक टक तुम्हे निहारता रहता था
बेवजह ही तुम्हारा नाम ले कर
तुम्हे पुकारता रहता था
ये सब पहले प्यार की निशानी ही तो थी
तुम्हारी और मेरी प्रेम कहानी ही तो थी
सबसे पहला नाम तुम्हारा ही पुकारना
शरारत में तुम्हारी लटों को संवारना
ये सब प्यार ही तो था
मगर अफ़सोस फिर मैं बड़ा हो गया
अपने पैरों पर खड़ा हो गया
तुम से दूर रहने लगा
अपने आप में अकेला सा रहने लगा
मगर सच मानना तुमसे दूर रह कर भी
तुम से दूर ना हुआ कभी
और हां ये प्रेम का इज़हार मेरी तरफ से था
तुम तो मेरी सूरत देखने से पहले से
मुझे प्यार करती हो
मैं भले तुमसे कितना भी दूर रहूँ
मगर जनता हूँ
तुम मुझे सबसे ज़्यादा प्यार करती हो
प्यार आशीर्वाद देखभाल मेरी फ़िक्र
हर बात में मेरे ज़िक्र इन सब का
बदला मैं कभी नहीं चूका सकता माँ
बस इतना कह सकता हूँ
तुम मेरे लिए इतनी अनमोल हो
जितना मैं तुम्हारे लिए
मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ माँ
तुम्हारी होने वाली बहु से भी ज़्यादा
धीरज झा
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