अगर कहीं ये हो जाए तो आँख मेरी गर सो जाए तो कहीं मैं एक दिन जाग ना पाऊं रात जो सोऊं तो सोया रह जाऊं हैरान ना होना बतला देता हूँ बेफिज़ू...
अगर कहीं ये हो जाए तो
आँख मेरी गर सो जाए तो
कहीं मैं एक दिन जाग ना पाऊं
रात जो सोऊं तो सोया रह जाऊं
हैरान ना होना बतला देता हूँ
बेफिज़ूल ना रोना बतला देता हूँ
दौर है ऐसा कमज़ोरी का
चैन नींद और सुख की चोरी का
कोई बड़ी ये बात ना होगी
बिन मेरे क्या दिन और रात ना होगी
आज़ादी मिल जाएगी तुमको
संस्कारी दुनिया बताएगी तुमको
फिर ना तुम्हें रुलाएगा कोई
ना रो रो कर पास बुलाएगा कोई
ना कोई तड़पेगा दिन रात
ना कोई कहेगा करो मुझसे बात
ना कोई हक़ के नाम पर बुरा भला कहेगा
मासूम सा दिल तुम्हारा फिर ना
इश्क की ज़बरदस्तियां सहेगा
घर तुम्हारे खुशियाँ आएंगी
समाज में इज्ज़त बढ़ जाएगी
मगर किसी दिन कहना सब से
देख रही हूँ खुश हो तुम सब कब से
मगर खुशी तुम्हारी होती अधूर
अगर ना एक पागल समझता मेरी मजबूरी
अगर ना उसने जान गंवाई होती
तो आज ना आँख तुम्हारी खुशी में रोती
ना मुमकिन है मिलते मिलते बिछड़ना
सांसों की कैद में अकेला सड़ना
इसीलिए ना रहूँ मैं तो हैरान ना होना
बीती बातों को सोच सोच परेशान ना होना
धीरज झा
आँख मेरी गर सो जाए तो
कहीं मैं एक दिन जाग ना पाऊं
रात जो सोऊं तो सोया रह जाऊं
हैरान ना होना बतला देता हूँ
बेफिज़ूल ना रोना बतला देता हूँ
दौर है ऐसा कमज़ोरी का
चैन नींद और सुख की चोरी का
कोई बड़ी ये बात ना होगी
बिन मेरे क्या दिन और रात ना होगी
आज़ादी मिल जाएगी तुमको
संस्कारी दुनिया बताएगी तुमको
फिर ना तुम्हें रुलाएगा कोई
ना रो रो कर पास बुलाएगा कोई
ना कोई तड़पेगा दिन रात
ना कोई कहेगा करो मुझसे बात
ना कोई हक़ के नाम पर बुरा भला कहेगा
मासूम सा दिल तुम्हारा फिर ना
इश्क की ज़बरदस्तियां सहेगा
घर तुम्हारे खुशियाँ आएंगी
समाज में इज्ज़त बढ़ जाएगी
मगर किसी दिन कहना सब से
देख रही हूँ खुश हो तुम सब कब से
मगर खुशी तुम्हारी होती अधूर
अगर ना एक पागल समझता मेरी मजबूरी
अगर ना उसने जान गंवाई होती
तो आज ना आँख तुम्हारी खुशी में रोती
ना मुमकिन है मिलते मिलते बिछड़ना
सांसों की कैद में अकेला सड़ना
इसीलिए ना रहूँ मैं तो हैरान ना होना
बीती बातों को सोच सोच परेशान ना होना
धीरज झा
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