दिल्ली की उस सबसे भयानक रात में जब एक लड़की लड़का बस में सवार हुए और उस बस में पहले से छः लोग घात लगाए बैठे थे । लड़के को बांध कर मारा और फिर च...
दिल्ली की उस सबसे भयानक रात में जब एक लड़की लड़का बस में सवार हुए और उस बस में पहले से छः लोग घात लगाए बैठे थे । लड़के को बांध कर मारा और फिर चलती बस से फेंक दिया और लड़की के साथ वो किया गया जिससे हैवानियत भी शर्मसार हो गई । बाद उस लड़की को उस हालत में सड़क पर फेंक दिया जिस हालत में औरत किसी के सामने पड़ जाए तो अगले क्षण भगवान से मौत मांग लेती है । मगर वो लड़की उसी हालत में बिना कपड़ों को घन्टों तक पड़ी रही सड़क पर । हालांकि हमारे साहसी समाज ने उसके मरने के बाद बहुत मोमबत्तियां जलाईं जलूस निकाले मगर उस वक्त जब वो लड़की बिना कपड़ों के अपने जिस्म पर चोट के कई निशान लिए बेसुध पड़ी थी तब किसी की एक कपड़ा तक उसके तन पर रखने की हिम्मत नहीं हुई । आशा करता हूं आप इस घटना को भूले नहीं होंगे । मेरा देश इतना भी भुल्लकड़ नही है ।
जिस योगी के ऐंटी रोमियो दल की आप निंदा कर रहे हैं वो अगर उस वक्त उस दिल्ली में गठित होता तो शायद देश को सदी की सबसे बड़ी शर्मिंदगियों में से ये शर्मिंदगी ना झेलनी पड़ती । बुलंदशहर भी याद होगा आपको ? और बीच सड़क पर सामने से आती खाड़ी को रोक कर उसमें सवार मर्द को बांध कर उनके सामने उनकी बेटी और बीवी के साथ किया हुआ दुष्कर्म भी आप नहीं भूले होंगे आप । अगर उस वक्त ये दल बनाया गया होता तो आज उस घटना को याद कर हमारे सर शर्म से नसीं झुकते ।
आप अंजान हैं क्योंकि आपकी बहन बेटियाँ आपको ये कहने से डरती हैं कि उन्हें स्कूल काॅलेज से आते हुए रोज़ उन घिनौनी नज़रों और टिप्पणियों का सामना करना पड़ता है जो शारीरिक शोषण से ज़रा भी कम नहीं । उन्हें डर लगता है कि ये सुन आप उनका स्कूल काॅलेज जाना बंद करवा देंगे । मगर आज मन ही मन वो सारी लड़कियाँ योगी जी को दुआएं दे रही होंगी । उनके चेहरे पर अब आपको डर नहीं दिखेगा । और जहाँ तक बात रही प्रेमी जोड़ों की तो मैं ऐसे प्रेम को प्रेम नहीं मानता जो पार्कों और सड़कों पर अपने बनावटी प्रेम का दिखावा करते फिरते हैं । प्रेम आज़ाद पहले कब था जो अब पहरों से डरेगा । डरने की ज़रूरत प्रेम को नहीं बल्कि छिछोरेपन को है ।
विरोध ज़रूरी है विरोध के बिना सुधार नहीं हो सकता मगर विरोध अंधा नहीं होना चाहिए । अगर आप अपने क्षेत्र अपने प्रदेश अपने देश का हित चाहते हैं तो आपको विरोध किस बात पर करें इसे पहले से सोचना होगा । बिना सोचे किया हुआ विरोध आपको अंधा साबित कर देगा । अगर आप इस ऐंटी रोमियो दल का विरोध कर रहे हैं तो इसका मतलब आप छेड़खानी को जायज मानते हैं । नया सवेरा है साहब बहुत सी अंधेरी रातों के बाद देखने को नसीब हुआ है । आंखें शुरू में चोंधियाएंगी मगर फिर उसके बाद जो दृश्य आपके सामने होगा वो वैसा ही होगा जैसा आप अपने सुहाने सपनों में देखा करते थे । बस थोड़ा इंतज़ार और सहयोग कीजिए ।
धीरज झा
जिस योगी के ऐंटी रोमियो दल की आप निंदा कर रहे हैं वो अगर उस वक्त उस दिल्ली में गठित होता तो शायद देश को सदी की सबसे बड़ी शर्मिंदगियों में से ये शर्मिंदगी ना झेलनी पड़ती । बुलंदशहर भी याद होगा आपको ? और बीच सड़क पर सामने से आती खाड़ी को रोक कर उसमें सवार मर्द को बांध कर उनके सामने उनकी बेटी और बीवी के साथ किया हुआ दुष्कर्म भी आप नहीं भूले होंगे आप । अगर उस वक्त ये दल बनाया गया होता तो आज उस घटना को याद कर हमारे सर शर्म से नसीं झुकते ।
आप अंजान हैं क्योंकि आपकी बहन बेटियाँ आपको ये कहने से डरती हैं कि उन्हें स्कूल काॅलेज से आते हुए रोज़ उन घिनौनी नज़रों और टिप्पणियों का सामना करना पड़ता है जो शारीरिक शोषण से ज़रा भी कम नहीं । उन्हें डर लगता है कि ये सुन आप उनका स्कूल काॅलेज जाना बंद करवा देंगे । मगर आज मन ही मन वो सारी लड़कियाँ योगी जी को दुआएं दे रही होंगी । उनके चेहरे पर अब आपको डर नहीं दिखेगा । और जहाँ तक बात रही प्रेमी जोड़ों की तो मैं ऐसे प्रेम को प्रेम नहीं मानता जो पार्कों और सड़कों पर अपने बनावटी प्रेम का दिखावा करते फिरते हैं । प्रेम आज़ाद पहले कब था जो अब पहरों से डरेगा । डरने की ज़रूरत प्रेम को नहीं बल्कि छिछोरेपन को है ।
विरोध ज़रूरी है विरोध के बिना सुधार नहीं हो सकता मगर विरोध अंधा नहीं होना चाहिए । अगर आप अपने क्षेत्र अपने प्रदेश अपने देश का हित चाहते हैं तो आपको विरोध किस बात पर करें इसे पहले से सोचना होगा । बिना सोचे किया हुआ विरोध आपको अंधा साबित कर देगा । अगर आप इस ऐंटी रोमियो दल का विरोध कर रहे हैं तो इसका मतलब आप छेड़खानी को जायज मानते हैं । नया सवेरा है साहब बहुत सी अंधेरी रातों के बाद देखने को नसीब हुआ है । आंखें शुरू में चोंधियाएंगी मगर फिर उसके बाद जो दृश्य आपके सामने होगा वो वैसा ही होगा जैसा आप अपने सुहाने सपनों में देखा करते थे । बस थोड़ा इंतज़ार और सहयोग कीजिए ।
धीरज झा
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