मरघट में धू धू कर जलती लाशें जलते हुए भी मुस्कुरा रही थीं जाते जाते ज़िंदा लोगों को उनके मरे होने का अहसास करा रही थीं रह रह कर उठ रहीं ...
मरघट में धू धू कर जलती लाशें
जलते हुए भी मुस्कुरा रही थीं
जाते जाते ज़िंदा लोगों को
उनके मरे होने का अहसास करा रही थीं
रह रह कर उठ रहीं आग की लपटें
मानों उनके हंसी के कहकहे हों
"हम हो गए आज़ाद, तुम भुगतो गुलामी"
जैसे बार बार वो यही बात कह रहे हों
सब एक दूसरे के हाल से अंजान थे
वहाँ ज़िंदा लाशें थीं और मरे हुए इंसान थे
चुप चाप सहते रहना भी एक बड़ा पाप है
हार चुके इंसान के लिए ज़िंदगी अभिशाप है
मिली हैं साँसें तो बोझ बन कर क्यों रहें
हो रहा है दर्द तो भला चिल्ला कर क्यों ना कहें
अगर चिल्लाने में लगता है डर तो सो जाना ही अच्छा है
ना उम्मीद इंसान का लाश हो जाना ही अच्छा है
धीरज झा
जलते हुए भी मुस्कुरा रही थीं
जाते जाते ज़िंदा लोगों को
उनके मरे होने का अहसास करा रही थीं
रह रह कर उठ रहीं आग की लपटें
मानों उनके हंसी के कहकहे हों
"हम हो गए आज़ाद, तुम भुगतो गुलामी"
जैसे बार बार वो यही बात कह रहे हों
सब एक दूसरे के हाल से अंजान थे
वहाँ ज़िंदा लाशें थीं और मरे हुए इंसान थे
चुप चाप सहते रहना भी एक बड़ा पाप है
हार चुके इंसान के लिए ज़िंदगी अभिशाप है
मिली हैं साँसें तो बोझ बन कर क्यों रहें
हो रहा है दर्द तो भला चिल्ला कर क्यों ना कहें
अगर चिल्लाने में लगता है डर तो सो जाना ही अच्छा है
ना उम्मीद इंसान का लाश हो जाना ही अच्छा है
धीरज झा
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