तुम प्रेम में कुन्ती के समान लाचार हो और मैं कर्ण की तरह अभागा मेरे प्रेम में तेज है सच्चाई है ईमानदारी है लड़ने की असीम ताक़त है मगर फिर ...
तुम प्रेम में कुन्ती के समान लाचार हो
और मैं कर्ण की तरह अभागा
मेरे प्रेम में तेज है
सच्चाई है
ईमानदारी है
लड़ने की असीम ताक़त है
मगर फिर भी तुम अपना ना सकोगी इसे
क्योंकि मैं तुम्हारी इच्छा हूं
क्योंकि मैं रात के तीसरे पहर जैसा हूं
एकदम लावारिस सा
जिसे रात चाहती सदैव अपनी
छाती से लगा कर रखना
मगर इसका अपनी इच्छा
सवेरे को बता नहीं पाती
उसे मालूम है
सवेरा इसे अपनाएगा नहीं
उसी तरह जिस तरह
तुमने मुझे चाहा तो बहुत
मगर किसी को बता ना पाओगी
क्योंकि मैं तुम्हारी अपनी इच्छा हूं
और यहाँ आज़ाद देश की
कई गुलाम लड़कियों को मनाही है
अपनी पसंद खुद से चुनने की
इस जाति प्रधान देश में
प्रेम की जाति सबसे नीची है
कितनी भी काबिल क्यों ना हो
हीन भावना से ही देखी जाएगी
प्रताड़ित की जाएगी
और इतनी वेदनाएं सहने के बाद भी
उसे चिल्लाने नहीं दिया जाएगा
क्योंकि ये तुम्हारी इच्छा है
और ऐ आज़ाद देश की ग़ुलाम लड़की
तुम्हे अधिकार नहीं
अपनी पसंद ना पसंद चुनने का
इसीलिए इस बिलबिलाते
प्रेम को कर्ण की तरह
लावारिस छोड़ दो
कोई ना कोई राधा इसे पाल पोस कर
ज़िंदा रख ही लेगी
धीरज झा
और मैं कर्ण की तरह अभागा
मेरे प्रेम में तेज है
सच्चाई है
ईमानदारी है
लड़ने की असीम ताक़त है
मगर फिर भी तुम अपना ना सकोगी इसे
क्योंकि मैं तुम्हारी इच्छा हूं
क्योंकि मैं रात के तीसरे पहर जैसा हूं
एकदम लावारिस सा
जिसे रात चाहती सदैव अपनी
छाती से लगा कर रखना
मगर इसका अपनी इच्छा
सवेरे को बता नहीं पाती
उसे मालूम है
सवेरा इसे अपनाएगा नहीं
उसी तरह जिस तरह
तुमने मुझे चाहा तो बहुत
मगर किसी को बता ना पाओगी
क्योंकि मैं तुम्हारी अपनी इच्छा हूं
और यहाँ आज़ाद देश की
कई गुलाम लड़कियों को मनाही है
अपनी पसंद खुद से चुनने की
इस जाति प्रधान देश में
प्रेम की जाति सबसे नीची है
कितनी भी काबिल क्यों ना हो
हीन भावना से ही देखी जाएगी
प्रताड़ित की जाएगी
और इतनी वेदनाएं सहने के बाद भी
उसे चिल्लाने नहीं दिया जाएगा
क्योंकि ये तुम्हारी इच्छा है
और ऐ आज़ाद देश की ग़ुलाम लड़की
तुम्हे अधिकार नहीं
अपनी पसंद ना पसंद चुनने का
इसीलिए इस बिलबिलाते
प्रेम को कर्ण की तरह
लावारिस छोड़ दो
कोई ना कोई राधा इसे पाल पोस कर
ज़िंदा रख ही लेगी
धीरज झा
COMMENTS