"हैप्पी मदर्स डे माँ ।" "थैंक्यू पुत्तर जी ।" "माँ आप जानती हैं मैं इस दुनिया का सबसे खुशनसीब बच्चा हूँ जिसके पास ...
"हैप्पी मदर्स डे माँ ।"
"थैंक्यू पुत्तर जी ।"
"माँ आप जानती हैं मैं इस दुनिया का सबसे खुशनसीब बच्चा हूँ जिसके पास आप जैसी माँ है । आई एम सो लक्की माँ । लव यू सो मच्च माँ ।"
"हाय मेरा बच्चा । लव यू टू मेरा पुत्तर । किन्ना सयाना है मेरा बेटा ।"
पंद्रह मिनट बाद
"बंटू ! ओए बंटू ।"
"हाँ मम्मी । क्या है ?"
"ये बोतलें भर दे पानी की । पीना जानता है भरना नहीं जानता । ऐसे करता है जैसे माँ नहीं नौकरानी पाली हो ।"
"ओ मम्मी मेरे से नहीं होता । मूवी देखने दो यार ।"
"निकम्मा कहीं का तेरे जैसी औलाद से तो ना औलाद होना ही अच्छा है ।"
"काश ना होता ! ये तुम्हारे ज़ुल्म तो ना सहने पड़ते ।"
"जबान चलाता है माँ से । जुत्तियों की कसर है तुझे । ठहर तेरी पीठ सेंकती हूँ ।"
रात के खाने के बाद
"क्या हुआ । बड़ा उदास लग रहा है ।"
"कुछ नहीं मम्मी... बस सर दुख रहा है ।"
"सब इस मोए जेल्ल शैल्ल की वजह से है । तेल लगाता नहीं ऊपर से सारा दिन इस फोन में घुसा रहता है । चल तेल लगा के मालिश कर दूँ ।"
"नहीं मम्मी ठीक हो जाएगा अपने आप, आप काम करलो ।"
"ओ काम तो होता रहेगा तू आ पहले तेरा सर दर्द ठी करूँ ।"
बंटू मालिश करवाता करवाता सो गया । ऊपर वाले दस मिनट मदर्स डे स्पैश्ल था । जो साल में एक बार होता है और नीचे वाला बाकी का सारा दिन रोज़ की तरह मम्मी स्पैश्ल है जो बिना गालियों के तानों के प्यार के दुलार के फिकर के पूरा नहीं होता । साल में दो तीन बार ये दस मिनट ज़रूरी है जब मन में छुपा सारा प्यार एक बार में माँ बच्चे एक दूसरे के लिए उड़ेल दें । बाकि का प्यार और फिक्र तो उम्र भर चलता रहेगा इसी तरह । जब मन माँ से डाँट खा लो, जब मन उसे तंग करो, जब मन उसे मना लो, जब मन ढेर सारा प्यार करवा लो ।
वैसे तो माँ बच्चों की आँखों में अपने लिए प्यार पढ़ लेती है मगर कभी कभी खास दिन ढूँढ कर इमोश्नल फ़ूल बन कर ज़ुबान से कहना भी ज़रूरी होता है ।
धीरज झा
"थैंक्यू पुत्तर जी ।"
"माँ आप जानती हैं मैं इस दुनिया का सबसे खुशनसीब बच्चा हूँ जिसके पास आप जैसी माँ है । आई एम सो लक्की माँ । लव यू सो मच्च माँ ।"
"हाय मेरा बच्चा । लव यू टू मेरा पुत्तर । किन्ना सयाना है मेरा बेटा ।"
पंद्रह मिनट बाद
"बंटू ! ओए बंटू ।"
"हाँ मम्मी । क्या है ?"
"ये बोतलें भर दे पानी की । पीना जानता है भरना नहीं जानता । ऐसे करता है जैसे माँ नहीं नौकरानी पाली हो ।"
"ओ मम्मी मेरे से नहीं होता । मूवी देखने दो यार ।"
"निकम्मा कहीं का तेरे जैसी औलाद से तो ना औलाद होना ही अच्छा है ।"
"काश ना होता ! ये तुम्हारे ज़ुल्म तो ना सहने पड़ते ।"
"जबान चलाता है माँ से । जुत्तियों की कसर है तुझे । ठहर तेरी पीठ सेंकती हूँ ।"
रात के खाने के बाद
"क्या हुआ । बड़ा उदास लग रहा है ।"
"कुछ नहीं मम्मी... बस सर दुख रहा है ।"
"सब इस मोए जेल्ल शैल्ल की वजह से है । तेल लगाता नहीं ऊपर से सारा दिन इस फोन में घुसा रहता है । चल तेल लगा के मालिश कर दूँ ।"
"नहीं मम्मी ठीक हो जाएगा अपने आप, आप काम करलो ।"
"ओ काम तो होता रहेगा तू आ पहले तेरा सर दर्द ठी करूँ ।"
बंटू मालिश करवाता करवाता सो गया । ऊपर वाले दस मिनट मदर्स डे स्पैश्ल था । जो साल में एक बार होता है और नीचे वाला बाकी का सारा दिन रोज़ की तरह मम्मी स्पैश्ल है जो बिना गालियों के तानों के प्यार के दुलार के फिकर के पूरा नहीं होता । साल में दो तीन बार ये दस मिनट ज़रूरी है जब मन में छुपा सारा प्यार एक बार में माँ बच्चे एक दूसरे के लिए उड़ेल दें । बाकि का प्यार और फिक्र तो उम्र भर चलता रहेगा इसी तरह । जब मन माँ से डाँट खा लो, जब मन उसे तंग करो, जब मन उसे मना लो, जब मन ढेर सारा प्यार करवा लो ।
वैसे तो माँ बच्चों की आँखों में अपने लिए प्यार पढ़ लेती है मगर कभी कभी खास दिन ढूँढ कर इमोश्नल फ़ूल बन कर ज़ुबान से कहना भी ज़रूरी होता है ।
धीरज झा
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