16 दिसंबर 2012 को दिल्ली के वसंत विहार में चलती बस निर्भया के साथ जिन छः अराधियों ने दरिंदगी के साथ दुष्कर्म किया । जिनमें से एक ने तो आत्म...
16 दिसंबर 2012 को दिल्ली के वसंत विहार में चलती बस निर्भया के साथ जिन छः अराधियों ने दरिंदगी के साथ दुष्कर्म किया । जिनमें से एक ने तो आत्म गलानी की वजह से जेल में ही आत्महत्या कर ली, एक को नाबालिक करार दे कर उसे तीन साल के लिए बाल सुधार केंद्र में भेज दिया गया और बाकी के चारों को नीचली और हाई कोर्ट अदालत द्वारा फांसी की सज़ा सुनाई गई जिसके खिलाफ़ दोबारा से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी । आज निर्भया केस पर सुप्रीमकोर्ट का फैसला आगया जिसमें कोर्ट ने चारों के खिलाफ़ मृत्युदंड की सज़ा को ये कह कर बरकरार रखा कि "बर्बरता के लिए कोई माफ़ी नहीं"
बहुत खुशी हुई सुन कर कि सुप्रीम कोर्ट ने बर्बरता के मामले में कोई माफ़ी नहीं दी उन अपराधियों को, हाँ उस एक अपराधी का खुद को नाबालिग साबित कर के नाममात्र की सज़ा होना दुःखद है, ये नाबालिग के नाम पर इस संपोले को आज़ाद कर दिया गया है यही सांप बन डसेगा । सोचने वाली बात है नाबालिग में इतना ज़हर तो बड़ा।हो कर क्या करेगा ।
पर थोड़ा सुकून इस बात का भी है कि कम से कम कोर्ट ने बाकि चारों को तो फांसी दी । कहते हुए बहुत बुरा लग रहा है मगर निर्भया की आत्मा और उसके परिवारजनों कम से कम इतना सुकून तो मिलेगा कि उसके दोषितों को कड़ी सज़ा हुई है । कम से कम इन्हें इंसाफ़ के नाम पर कुछ तो मिला । 52,367 केस जो पुलिस रिकार्ड में दर्ज हैं और ना जाने कितनी अभागिनों को तो उनके साथ हुए दुष्कर्म को पुलिस के केस रजिस्टर में दर्ज कराने का मौका भी नहीं दिया गया, इन सबके साथ बर्बरता नहीं हुई ? इन केसों के अपराधियों को खुला क्यों छोड़ दिया गया ? क्यों आज भी देश में हर चादह मिनट में एक रेप की घटना को अंजाम दिया जा रहा है ? क्यों इन सबके परिजनों की चीख़ पुकार नहीं सुनी जा रही ?
जानते हैं क्यों ? क्योंकि देश चुप है इसीलिए । निर्भया के साथ जो हुआ भगवान ना करे किसी की बहन बेटी के साथ हो मगर उसके बाद कम से कम पूरा देश उसके साथ तो खड़ा था । अगर उस समय उसके साथ देश ना खड़ा हुआ होता तो शायद आज उसके साथ दुष्कर्म करने वाले भी खुला घूम रहे होते । मगर तब देश के हर कोने से लोगों का समर्थन उस बच्ची को मिला । कम से कम देश की जनता को अब तो समझना चाहिए कि जब जब वो किसी बात के विरोध में एक साथ सामने आए हैं तब तब बदलाव आया है । ये जो मासूम बच्चियों की ज़िंदगी ख़राब हुई और उनकी ज़िंदगी ख़राब करने वालों को आज तक सज़ा नहीं हुई उन सबके लिए कौन आवाज़ उठाएगा ।
एक बात जान लीजिए हमारा ना बोलना हमारे लिए ही घातक साबित हो जाएगा याद रखिएगा । अगर हर एक मुद्दे पर आवाज़ उठा कर उन दोषिओं को सज़ा दिलाई जाए तो शायद फिर से कोई ऐसा करने की हिम्मत ना करे । जब जब बात को दबाया जाता है तब तब अपराधियों को बल मिलता है । अपराधी को मिटाने के लिए अपराध को जड़ से उखाड़ फेंकना ही एक मात्र रास्ता है । हमें बार बार आवाज़ उठानी होगी जिससे सरकारें और व्यवस्था यह जान सके कि यहाँ मुर्दे नहीं रहते यहाँ इंसान रहते हैं जो अपने अधिकार के लिए लड़ना जानते हैं ।
हमें आवाज़ बुलंद करते रहना होगा जिससे फिर से देश को किसी निर्भया के लिए रोना ना पड़े और जो बाकि की निर्भया देश में न्याय को तरस रही हैं उन्हें न्याय मिले ।
जय हिंद
धीरज झा
बहुत खुशी हुई सुन कर कि सुप्रीम कोर्ट ने बर्बरता के मामले में कोई माफ़ी नहीं दी उन अपराधियों को, हाँ उस एक अपराधी का खुद को नाबालिग साबित कर के नाममात्र की सज़ा होना दुःखद है, ये नाबालिग के नाम पर इस संपोले को आज़ाद कर दिया गया है यही सांप बन डसेगा । सोचने वाली बात है नाबालिग में इतना ज़हर तो बड़ा।हो कर क्या करेगा ।
पर थोड़ा सुकून इस बात का भी है कि कम से कम कोर्ट ने बाकि चारों को तो फांसी दी । कहते हुए बहुत बुरा लग रहा है मगर निर्भया की आत्मा और उसके परिवारजनों कम से कम इतना सुकून तो मिलेगा कि उसके दोषितों को कड़ी सज़ा हुई है । कम से कम इन्हें इंसाफ़ के नाम पर कुछ तो मिला । 52,367 केस जो पुलिस रिकार्ड में दर्ज हैं और ना जाने कितनी अभागिनों को तो उनके साथ हुए दुष्कर्म को पुलिस के केस रजिस्टर में दर्ज कराने का मौका भी नहीं दिया गया, इन सबके साथ बर्बरता नहीं हुई ? इन केसों के अपराधियों को खुला क्यों छोड़ दिया गया ? क्यों आज भी देश में हर चादह मिनट में एक रेप की घटना को अंजाम दिया जा रहा है ? क्यों इन सबके परिजनों की चीख़ पुकार नहीं सुनी जा रही ?
जानते हैं क्यों ? क्योंकि देश चुप है इसीलिए । निर्भया के साथ जो हुआ भगवान ना करे किसी की बहन बेटी के साथ हो मगर उसके बाद कम से कम पूरा देश उसके साथ तो खड़ा था । अगर उस समय उसके साथ देश ना खड़ा हुआ होता तो शायद आज उसके साथ दुष्कर्म करने वाले भी खुला घूम रहे होते । मगर तब देश के हर कोने से लोगों का समर्थन उस बच्ची को मिला । कम से कम देश की जनता को अब तो समझना चाहिए कि जब जब वो किसी बात के विरोध में एक साथ सामने आए हैं तब तब बदलाव आया है । ये जो मासूम बच्चियों की ज़िंदगी ख़राब हुई और उनकी ज़िंदगी ख़राब करने वालों को आज तक सज़ा नहीं हुई उन सबके लिए कौन आवाज़ उठाएगा ।
एक बात जान लीजिए हमारा ना बोलना हमारे लिए ही घातक साबित हो जाएगा याद रखिएगा । अगर हर एक मुद्दे पर आवाज़ उठा कर उन दोषिओं को सज़ा दिलाई जाए तो शायद फिर से कोई ऐसा करने की हिम्मत ना करे । जब जब बात को दबाया जाता है तब तब अपराधियों को बल मिलता है । अपराधी को मिटाने के लिए अपराध को जड़ से उखाड़ फेंकना ही एक मात्र रास्ता है । हमें बार बार आवाज़ उठानी होगी जिससे सरकारें और व्यवस्था यह जान सके कि यहाँ मुर्दे नहीं रहते यहाँ इंसान रहते हैं जो अपने अधिकार के लिए लड़ना जानते हैं ।
हमें आवाज़ बुलंद करते रहना होगा जिससे फिर से देश को किसी निर्भया के लिए रोना ना पड़े और जो बाकि की निर्भया देश में न्याय को तरस रही हैं उन्हें न्याय मिले ।
जय हिंद
धीरज झा
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