अब तो हम बिल्लइआ के गर में घंटी की जगह पट्टा पहिनाते हैं (मरलका मूस आ लंगड़ुआ कुत्ता संवाद ) "झांऊं झांऊं ! क्या मूस बाबा आप तो गदर का...
अब तो हम बिल्लइआ के गर में घंटी की जगह पट्टा पहिनाते हैं
(मरलका मूस आ लंगड़ुआ कुत्ता संवाद )
"झांऊं झांऊं ! क्या मूस बाबा आप तो गदर काट रहे हैं । मने पूरा राजसी ठाठ बाठ है एक दम, थोड़ा ध्यान हमनी लोग पर भी दिया जाए ।" लंगड़ुआ कुत्ता ने एक टांग से कान खुजलाते हुए मरलका मूसबा से कहा । उसकी लटकी हुई जीभ से लार टपक रही थी और पूंछ पहले से ज़्यादा स्पीड में डोल रही थी ।
"पहिले तो ये लार टपकाना बंद करो । दूसरा तुम साले कुत्ते के कुत्ते ही रह गए । मूस बन जाते तो कम से कम नजारा तो लेते । खैर अब हमारी संगत में रहो तुमको हम सिखाएंगे एक सच्चा मूस कैसे बना जाता है ।" अगले शराबी जखीरे पर हमला करने की तैयारी में मरलका मूसबा दांत पिजाता हुआ गर्व बोला ।
"सच गुरू ? बड़ी किरपा होई गुरू हमको भी ई हिम्मत चाहिए जो आप में आया है ।"
"अऊर का, अब देखो एतना साल से मोटकी बिल्लइआ हमको केतना दौड़ाई, हमारा सोसन की, जब हाथ आए तो हमारा बुरी तरह पोस्टमाटम कर के खिंचड़ी समझ के हमको राई छाई कर के खाई । साला हम पहिले डर रहता था बिल्ली के गर में घंटिया कोन बांधेगा परंतु अब देखलो हम पूरा बोतल चढ़ा के पहिले तो साली को पटक पटक के धोए फेर उसके गले में पट्टा डाला । काल्ह की बात तुमको बताते हैं साला हम अपना (सामने पड़ा बोतल एक बार में ही निपटा कर मुंह बनाते हुए) फटफटिआ पर चले जा रहे थे, एतना में हमको बितनवा संझिआ दिख गया । उसको देखते खून खौल गया हमरा । मोटरसाईकिल रोक कर पकड़े ससुरा का कालर और कहे 'काहे बे बड़ा सीना चौड़ा कर के कहता था कि हम मूस पका कर खाते हैं । अब बोलो साला, पकाओ हमको ।' हमको देखते ही बितनवा का धोती गीला हो गया, फिर कांपते हुए बोला 'सरकार गलती हो गया, सुसनवा जैसे आपको सराब का नसा चढ़ाया है अईसही हमको सत्ता का नसा चढ़ा दिया था ऊ । हम तैस में।आकर बोल गए थे, हमको छेमा कर दीजिए ।' हमको दया आगया फिर हम उसको एक मुर्गा फ्राई का आडर देने को बोले और जो बितनबा हमारे भाई बंधू को पका कर खाया करता था उससे मुर्गा पकवा के खाए ।" लंगड़ूआ कुत्ता मन ही मन सोच रहा था साला घोर कलजुग आ गया है, ई झोंपड़ी का पिद्दी सा आज सेर बना बैठा है ।
इसके बाद लंगड़ुआ अपनी कुत्ते वाली एस्माईल बिखेरते हुए चाटने के लहजे में बोला "आप तो महान हैं परभू, साला इतिहास पलट दिए आप तो । परभू हमको भी दया का दू चार बूंद दे दिजिए गला सूख रहा है ।"
" लो ससुर तुम भी पीओ, नौ लाख लीटर है, तुम्हारे एक बोतल पीने से हमरा कुछों टेंढ नहीं होने वाला । सुनो बिल्लईआ मिले तो उसको भी बुला लेना सबिल बांट के पिएंगे । अब समझ आया साला दारू का एतना क्रेज काहे है ई साला मन का मईल मिटा देता है फिर सबके साथ रहने का मन करता है । हम तो दुआ करते हैं साला पूरा देस में सराब बंदी हो अऊर हमारा भाई लोग पूरा देस से सराब चुराए काहे कि जब तक सराब बिकता है तब तक हमारे हाथ नहीं लगता जब बंद हो जाता है तब हम लोग चुरा पाते हैं ।" चूहा का बात सुनते सुनते लंगड़ुआ दो पेग में ही ढेर हो गया ।
चूहा मुस्कुराता हुआ गर्व से बोला "साला कुत्ता को घिऊ के साथे साथे सराबो नहीं पचता है, ई दम तो मूसे में है, अईसहीं थोड़े नौ लाख लीटर पचा गए.....हिंच हिंच ।"
धीरज झा
(मरलका मूस आ लंगड़ुआ कुत्ता संवाद )
"झांऊं झांऊं ! क्या मूस बाबा आप तो गदर काट रहे हैं । मने पूरा राजसी ठाठ बाठ है एक दम, थोड़ा ध्यान हमनी लोग पर भी दिया जाए ।" लंगड़ुआ कुत्ता ने एक टांग से कान खुजलाते हुए मरलका मूसबा से कहा । उसकी लटकी हुई जीभ से लार टपक रही थी और पूंछ पहले से ज़्यादा स्पीड में डोल रही थी ।
"पहिले तो ये लार टपकाना बंद करो । दूसरा तुम साले कुत्ते के कुत्ते ही रह गए । मूस बन जाते तो कम से कम नजारा तो लेते । खैर अब हमारी संगत में रहो तुमको हम सिखाएंगे एक सच्चा मूस कैसे बना जाता है ।" अगले शराबी जखीरे पर हमला करने की तैयारी में मरलका मूसबा दांत पिजाता हुआ गर्व बोला ।
"सच गुरू ? बड़ी किरपा होई गुरू हमको भी ई हिम्मत चाहिए जो आप में आया है ।"
"अऊर का, अब देखो एतना साल से मोटकी बिल्लइआ हमको केतना दौड़ाई, हमारा सोसन की, जब हाथ आए तो हमारा बुरी तरह पोस्टमाटम कर के खिंचड़ी समझ के हमको राई छाई कर के खाई । साला हम पहिले डर रहता था बिल्ली के गर में घंटिया कोन बांधेगा परंतु अब देखलो हम पूरा बोतल चढ़ा के पहिले तो साली को पटक पटक के धोए फेर उसके गले में पट्टा डाला । काल्ह की बात तुमको बताते हैं साला हम अपना (सामने पड़ा बोतल एक बार में ही निपटा कर मुंह बनाते हुए) फटफटिआ पर चले जा रहे थे, एतना में हमको बितनवा संझिआ दिख गया । उसको देखते खून खौल गया हमरा । मोटरसाईकिल रोक कर पकड़े ससुरा का कालर और कहे 'काहे बे बड़ा सीना चौड़ा कर के कहता था कि हम मूस पका कर खाते हैं । अब बोलो साला, पकाओ हमको ।' हमको देखते ही बितनवा का धोती गीला हो गया, फिर कांपते हुए बोला 'सरकार गलती हो गया, सुसनवा जैसे आपको सराब का नसा चढ़ाया है अईसही हमको सत्ता का नसा चढ़ा दिया था ऊ । हम तैस में।आकर बोल गए थे, हमको छेमा कर दीजिए ।' हमको दया आगया फिर हम उसको एक मुर्गा फ्राई का आडर देने को बोले और जो बितनबा हमारे भाई बंधू को पका कर खाया करता था उससे मुर्गा पकवा के खाए ।" लंगड़ूआ कुत्ता मन ही मन सोच रहा था साला घोर कलजुग आ गया है, ई झोंपड़ी का पिद्दी सा आज सेर बना बैठा है ।
इसके बाद लंगड़ुआ अपनी कुत्ते वाली एस्माईल बिखेरते हुए चाटने के लहजे में बोला "आप तो महान हैं परभू, साला इतिहास पलट दिए आप तो । परभू हमको भी दया का दू चार बूंद दे दिजिए गला सूख रहा है ।"
" लो ससुर तुम भी पीओ, नौ लाख लीटर है, तुम्हारे एक बोतल पीने से हमरा कुछों टेंढ नहीं होने वाला । सुनो बिल्लईआ मिले तो उसको भी बुला लेना सबिल बांट के पिएंगे । अब समझ आया साला दारू का एतना क्रेज काहे है ई साला मन का मईल मिटा देता है फिर सबके साथ रहने का मन करता है । हम तो दुआ करते हैं साला पूरा देस में सराब बंदी हो अऊर हमारा भाई लोग पूरा देस से सराब चुराए काहे कि जब तक सराब बिकता है तब तक हमारे हाथ नहीं लगता जब बंद हो जाता है तब हम लोग चुरा पाते हैं ।" चूहा का बात सुनते सुनते लंगड़ुआ दो पेग में ही ढेर हो गया ।
चूहा मुस्कुराता हुआ गर्व से बोला "साला कुत्ता को घिऊ के साथे साथे सराबो नहीं पचता है, ई दम तो मूसे में है, अईसहीं थोड़े नौ लाख लीटर पचा गए.....हिंच हिंच ।"
धीरज झा
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