लेख बड़ा है मगर एक बार पढ़ें ज़रूर आज अभी एक मित्र की वाॅल पर एक विडियो देख कर आ रहा हूँ । वैसे मैं आम तौर पर किसी धार्मिक या जातिय विडियों...
लेख बड़ा है मगर एक बार पढ़ें ज़रूर
आज अभी एक मित्र की वाॅल पर एक विडियो देख कर आ रहा हूँ । वैसे मैं आम तौर पर किसी धार्मिक या जातिय विडियों को अपनी समझ तक ही रखता हूँ । इन मामलों में बिना आमने सामने हुए मुझे तर्क वितर्क करना बच्चकाना सा लगता है क्योंकि यहाँ समझना किसी को नहीं होता हर कोई बस खुद को विद्वान मान कर अपनी सुनाना चाहता है (हर कोई मतलब हर कोई, कई बार आप भी कई बार मैं भी ) । मगर आज जो विडियो देखा उसे देख कर मन में बहुत सारे ख़याल उठे जिन्हें मैं बिना लिखे रह नहीं पाऊंगा । आप सबने भी यह विडियो ज़रूर देखा होगा यदि नहीं देखा होगा तो जल्दी ही देख लेंगे ।
विडियो में एक शुद्र बालक गुरुकुल के ब्राहम्ण बालकों की देखादेखी ऊं नमः शिवाय का जाप करने लगता है । वो खेलता कूदता हुआ इस जाप को ऐसे गुनगुनाता है जैसे हम लोग किसी गीत के ज़ुबान पर चढ़ जाने के बाद उसे गुनगुनाते हैं । जब वो ये मंत्र गुनगुना रहा होता है तो एक स्वामी जी अपने शिष्यों के साथ वहाँ से गुज़र रहे होते हैं । लोग इस डर से उस स्वामी के पैर में लोट रहे होते।हैं कि कहीं स्वामी जी श्राप ना दे दें । स्वामी के कानों में बच्चे के मंत्र जाप की आवाज़ पड़ती है । जब वो देखता।है कि यह मंत्र एक शूद्र बालक द्वारा जपा जा रहा है तब वो यह कह कर हल्ला करने लगता है कि "इस बालक ने इस पवित्र मंत्र का जाप कर के घोर पाप किया है, अब यह मंत्र अशुद्ध हो गया है और इसके दुष्प्रभाव से अब गाँव में बड़ी भारी विपदा आएगी ।
स्वामी के इस कथन से डरे सहमे मूर्ख लोग पंचायत बुलाते हैं जिसमें यह आदेश दिया जाता है कि जिस जिह्वा से इस शूद्र बालक ने मंत्र जप कर अशुद्ध किया है उसकी ये जिह्वा ही काट दी जाए । वहाँ खड़े मूर्ख लोग भी इसका समर्थन ये कह कर करते हैं कि इस बालक ने पाप किया है और इसकी वजह से पूरा खाँव क्यों किसी अनहोनी से पीड़ित हो इसलिए जैसा पंच और स्वामी कहते हैं वही सजा बच्चे को मिले । और इस तरह उस "शूद्र" (ध्यान रहे विडियो बनाने वाले ने बालक को शूद्र बताया है) बालक की जिह्वा काट दी जाती है ।
सबसे पहली बात जो इस विडियो को देख कर मेरे मन में आई वह थी ऐसे मुर्ख लोगों के लिए बड़ी सी गाली जो किसी के भी बहकावे में आ जाते हैं । दूसरी गाली जो निकली वो इस विडियो बनाने वाले के लिए निकली कि क्या इसके पास बनाने के लिए और कुछ नहीं था जो वो इस बिगड़े माहौल में जहाँ धर्मों के नाम पर जाति के नाम पर इतना बवाल मचा है ऐसी विडियो बना कर लोगों को भड़का रहा है ।
जानते हैं हिंदू धर्म का सबसे ज़्यादा बेड़ा गर्क किसने किया है ? इन बाबाओं ने और ऐसे मूर्ख लोगों ने जो इन्हें ईश्वर की आवाज़ मानते हैं । आप मेरी बात को आजा कर देख लीजिएगा कि अगर कोई संत अपने प्रवचन में सौ अचछी बातें कहता है ना तो सुनने वालों में आधे उसे पंडाल से निकलते भूल जाते हैं और बाकि के कुछ एक दो दिन में भूल जाते हैं । और उसी तरह का संत कोई उल्टी पट्टी पढ़ा कर भड़काऊ सी बात कह जाए तो लोगों के मन में वह बात अच्छे से गड़ जाती है । सभी धर्मों की बात कर रहा हूँ बुराई के ठेकेदार सिर्फ एक धर्म में नहीं बैठे बल्की सभी धर्मों में बैठे हैं ।
जात से ब्राहम्ण हूँ हमारे पुर्खे या मेरी रिश्तेदारी में जितने भी लोग हैं जहाँ तक फैले हैं उन में से किसी के पूर्वज धनवान होना तो दूर अच्छी तरह समृद्ध तक नहीं थे । हाँ ब्राहम्ण ऊपर से वैध थे इसलिए सम्मान मिलता रहा है । मगर इतना धन कभी नहीं रहा कि हम किसी पर हुकूमत कर सकें । करीब चार साल पहले की बात है बहुत सालों बाद गाँव गया था । एक दिन टहलने निकला तो एक 65 70 साल के साओ जी हैं गाँव के वो सामने पड़ गए और पहिले पापा के नाम से पूछे कि आप उनके बेटे हैं जब मैने जी कह कर जवाब दिए तो हाथ जोड़ कर बोले प्रणाम मालिक । मैं शर्मिंदा था एक दम कि इतना बुज़ुर्ग बंदा मुझे प्रणाम कर रहा है । मैने उन्हें यह कह कर मना किया कि आप प्रणाम ना करें बहुत बड़े हैं आप मुझसे । तब वो मुस्कुरा कर बोले कि "आपकी उम्र को प्रणाम नहीं कर रहे हम, हम प्रणाम कर रहे हैं आपके कुल को जिसमें आपने जन्म लिया है । आप ब्राहम्ण हैं भूदेव हैं आपको प्रणाम करना हमारा अधिकार और धर्म है, ये हमसे मत छीनिए । वैसे भी हमारी आने वाली पीढ़ियों का क्या पता वह ये सौभाग्य प्राप्त कर पाते हैं या नहीं ।"
उनकी बातें सुन कर समझ गया कि इन्हें समझा पाना मेरे बस का नहीं इसलिए बस मुस्कुरा कर उनका हाल चाल पूछ लिया । उसके बाद से मैं उनके सामने जाने में शर्म महसूस करता था पता था वो मानेंगे नहीं और मुझसे ये होगा नहीं । उन्हें मारा पीटा नहीं गया है वो आज भी सम्मान करते हैं तो अपनी मर्ज़ी से । और ऐसे भी नए लड़के हैं जो छाती तक बटन खोले फूल साऊंड में "खोंस दी पलग कि देवरा बाटे बड़ा चीटर, लगवा द राजा जी हमरा लहंगा में मीटर" बजाते हुए मस्त हाथी की तरह झूमते निकल जाते हैं हमारे बुजुर्गों के आगे से । उन्हें मतलब ही नहीं कि जो बैठा है वो ब्राहम्ण है राजपूत है बनिया है कि उनकी ही जात का कोई है । हमारा इन पर भी कोई ज़ोर नहीं और उन प्रणाम करने वाले बुजुर्गों पर भी ज़ोर नहीं । मैं और मेरे जैसे बहुत से सवर्ण नौजवान हैं जिनकी मित्रता बिना जात पात पूछे हुई है जिन्होंने दोस्तों के माँ बाप के पैर वैसे ही छूए हैं जैसे कि अपने माँ बाप के । साथ खाए पीए रहे बिना जाने कि "कौन जात हो भाई ?
बीते हुए युगों में तो बहुत कुछ हुआ सुदामा ब्राहम्ण हो कर भूख से बिलबिलाते रहे, राम जी ने क्षत्रिय राजा हो कर भी एक धोबी की बात ना काटी और सीता माता को वनवास दे कर अपयश अपने सर ले लिया, ब्राहम्ण इतने भूखे थे की चार चार कोस पैदल चले जाते थे जब भोजन का निमंत्रण आता । गृहस्त सूखा बारिश सब में फसलों की बर्बादी झेल कर भी मजदूरों को बन भरता रहा है । सब पर बातें करने लगें तो बहुत से दोषी निकल आएंगे । किस किस से लड़ते फिरेंगे ।
जहाँ तक की आज भी लोग सवर्ण होने की वजह से दबाए जा रहे हैं । पढ़े लिखे होने के बावजूद नौकरियाँ नही हैं, जो पद पर किसी तरह पहुंच गए उनकी तरक्कियाँ रुकी हुई हैं, बिमारी से मर रहे हैं मगर सरकार से कोई मदद नहीं मिल रही क्योंकि सवर्ण हैं । इन सबके लिए विद्रोह छेड़ दें तो कर गया देश विकास । इसीलिए बहकावे से बाहर आएं । अपने दिमाग से सोचें । ऐसे विडियो, भाषण, किसी ज़माने में हुए अत्याचारों के नाम पर भड़काना ये सब बस एक राजनितिक साजिश के अलावा और कुछ नहीं । अगर चैन से रहना है आगे बढ़ना है तो इन सब से बचिए । बाकि समझदार तो आप सब खुद ही बहुत हैं ।
धीरज झा
आज अभी एक मित्र की वाॅल पर एक विडियो देख कर आ रहा हूँ । वैसे मैं आम तौर पर किसी धार्मिक या जातिय विडियों को अपनी समझ तक ही रखता हूँ । इन मामलों में बिना आमने सामने हुए मुझे तर्क वितर्क करना बच्चकाना सा लगता है क्योंकि यहाँ समझना किसी को नहीं होता हर कोई बस खुद को विद्वान मान कर अपनी सुनाना चाहता है (हर कोई मतलब हर कोई, कई बार आप भी कई बार मैं भी ) । मगर आज जो विडियो देखा उसे देख कर मन में बहुत सारे ख़याल उठे जिन्हें मैं बिना लिखे रह नहीं पाऊंगा । आप सबने भी यह विडियो ज़रूर देखा होगा यदि नहीं देखा होगा तो जल्दी ही देख लेंगे ।
विडियो में एक शुद्र बालक गुरुकुल के ब्राहम्ण बालकों की देखादेखी ऊं नमः शिवाय का जाप करने लगता है । वो खेलता कूदता हुआ इस जाप को ऐसे गुनगुनाता है जैसे हम लोग किसी गीत के ज़ुबान पर चढ़ जाने के बाद उसे गुनगुनाते हैं । जब वो ये मंत्र गुनगुना रहा होता है तो एक स्वामी जी अपने शिष्यों के साथ वहाँ से गुज़र रहे होते हैं । लोग इस डर से उस स्वामी के पैर में लोट रहे होते।हैं कि कहीं स्वामी जी श्राप ना दे दें । स्वामी के कानों में बच्चे के मंत्र जाप की आवाज़ पड़ती है । जब वो देखता।है कि यह मंत्र एक शूद्र बालक द्वारा जपा जा रहा है तब वो यह कह कर हल्ला करने लगता है कि "इस बालक ने इस पवित्र मंत्र का जाप कर के घोर पाप किया है, अब यह मंत्र अशुद्ध हो गया है और इसके दुष्प्रभाव से अब गाँव में बड़ी भारी विपदा आएगी ।
स्वामी के इस कथन से डरे सहमे मूर्ख लोग पंचायत बुलाते हैं जिसमें यह आदेश दिया जाता है कि जिस जिह्वा से इस शूद्र बालक ने मंत्र जप कर अशुद्ध किया है उसकी ये जिह्वा ही काट दी जाए । वहाँ खड़े मूर्ख लोग भी इसका समर्थन ये कह कर करते हैं कि इस बालक ने पाप किया है और इसकी वजह से पूरा खाँव क्यों किसी अनहोनी से पीड़ित हो इसलिए जैसा पंच और स्वामी कहते हैं वही सजा बच्चे को मिले । और इस तरह उस "शूद्र" (ध्यान रहे विडियो बनाने वाले ने बालक को शूद्र बताया है) बालक की जिह्वा काट दी जाती है ।
सबसे पहली बात जो इस विडियो को देख कर मेरे मन में आई वह थी ऐसे मुर्ख लोगों के लिए बड़ी सी गाली जो किसी के भी बहकावे में आ जाते हैं । दूसरी गाली जो निकली वो इस विडियो बनाने वाले के लिए निकली कि क्या इसके पास बनाने के लिए और कुछ नहीं था जो वो इस बिगड़े माहौल में जहाँ धर्मों के नाम पर जाति के नाम पर इतना बवाल मचा है ऐसी विडियो बना कर लोगों को भड़का रहा है ।
जानते हैं हिंदू धर्म का सबसे ज़्यादा बेड़ा गर्क किसने किया है ? इन बाबाओं ने और ऐसे मूर्ख लोगों ने जो इन्हें ईश्वर की आवाज़ मानते हैं । आप मेरी बात को आजा कर देख लीजिएगा कि अगर कोई संत अपने प्रवचन में सौ अचछी बातें कहता है ना तो सुनने वालों में आधे उसे पंडाल से निकलते भूल जाते हैं और बाकि के कुछ एक दो दिन में भूल जाते हैं । और उसी तरह का संत कोई उल्टी पट्टी पढ़ा कर भड़काऊ सी बात कह जाए तो लोगों के मन में वह बात अच्छे से गड़ जाती है । सभी धर्मों की बात कर रहा हूँ बुराई के ठेकेदार सिर्फ एक धर्म में नहीं बैठे बल्की सभी धर्मों में बैठे हैं ।
जात से ब्राहम्ण हूँ हमारे पुर्खे या मेरी रिश्तेदारी में जितने भी लोग हैं जहाँ तक फैले हैं उन में से किसी के पूर्वज धनवान होना तो दूर अच्छी तरह समृद्ध तक नहीं थे । हाँ ब्राहम्ण ऊपर से वैध थे इसलिए सम्मान मिलता रहा है । मगर इतना धन कभी नहीं रहा कि हम किसी पर हुकूमत कर सकें । करीब चार साल पहले की बात है बहुत सालों बाद गाँव गया था । एक दिन टहलने निकला तो एक 65 70 साल के साओ जी हैं गाँव के वो सामने पड़ गए और पहिले पापा के नाम से पूछे कि आप उनके बेटे हैं जब मैने जी कह कर जवाब दिए तो हाथ जोड़ कर बोले प्रणाम मालिक । मैं शर्मिंदा था एक दम कि इतना बुज़ुर्ग बंदा मुझे प्रणाम कर रहा है । मैने उन्हें यह कह कर मना किया कि आप प्रणाम ना करें बहुत बड़े हैं आप मुझसे । तब वो मुस्कुरा कर बोले कि "आपकी उम्र को प्रणाम नहीं कर रहे हम, हम प्रणाम कर रहे हैं आपके कुल को जिसमें आपने जन्म लिया है । आप ब्राहम्ण हैं भूदेव हैं आपको प्रणाम करना हमारा अधिकार और धर्म है, ये हमसे मत छीनिए । वैसे भी हमारी आने वाली पीढ़ियों का क्या पता वह ये सौभाग्य प्राप्त कर पाते हैं या नहीं ।"
उनकी बातें सुन कर समझ गया कि इन्हें समझा पाना मेरे बस का नहीं इसलिए बस मुस्कुरा कर उनका हाल चाल पूछ लिया । उसके बाद से मैं उनके सामने जाने में शर्म महसूस करता था पता था वो मानेंगे नहीं और मुझसे ये होगा नहीं । उन्हें मारा पीटा नहीं गया है वो आज भी सम्मान करते हैं तो अपनी मर्ज़ी से । और ऐसे भी नए लड़के हैं जो छाती तक बटन खोले फूल साऊंड में "खोंस दी पलग कि देवरा बाटे बड़ा चीटर, लगवा द राजा जी हमरा लहंगा में मीटर" बजाते हुए मस्त हाथी की तरह झूमते निकल जाते हैं हमारे बुजुर्गों के आगे से । उन्हें मतलब ही नहीं कि जो बैठा है वो ब्राहम्ण है राजपूत है बनिया है कि उनकी ही जात का कोई है । हमारा इन पर भी कोई ज़ोर नहीं और उन प्रणाम करने वाले बुजुर्गों पर भी ज़ोर नहीं । मैं और मेरे जैसे बहुत से सवर्ण नौजवान हैं जिनकी मित्रता बिना जात पात पूछे हुई है जिन्होंने दोस्तों के माँ बाप के पैर वैसे ही छूए हैं जैसे कि अपने माँ बाप के । साथ खाए पीए रहे बिना जाने कि "कौन जात हो भाई ?
बीते हुए युगों में तो बहुत कुछ हुआ सुदामा ब्राहम्ण हो कर भूख से बिलबिलाते रहे, राम जी ने क्षत्रिय राजा हो कर भी एक धोबी की बात ना काटी और सीता माता को वनवास दे कर अपयश अपने सर ले लिया, ब्राहम्ण इतने भूखे थे की चार चार कोस पैदल चले जाते थे जब भोजन का निमंत्रण आता । गृहस्त सूखा बारिश सब में फसलों की बर्बादी झेल कर भी मजदूरों को बन भरता रहा है । सब पर बातें करने लगें तो बहुत से दोषी निकल आएंगे । किस किस से लड़ते फिरेंगे ।
जहाँ तक की आज भी लोग सवर्ण होने की वजह से दबाए जा रहे हैं । पढ़े लिखे होने के बावजूद नौकरियाँ नही हैं, जो पद पर किसी तरह पहुंच गए उनकी तरक्कियाँ रुकी हुई हैं, बिमारी से मर रहे हैं मगर सरकार से कोई मदद नहीं मिल रही क्योंकि सवर्ण हैं । इन सबके लिए विद्रोह छेड़ दें तो कर गया देश विकास । इसीलिए बहकावे से बाहर आएं । अपने दिमाग से सोचें । ऐसे विडियो, भाषण, किसी ज़माने में हुए अत्याचारों के नाम पर भड़काना ये सब बस एक राजनितिक साजिश के अलावा और कुछ नहीं । अगर चैन से रहना है आगे बढ़ना है तो इन सब से बचिए । बाकि समझदार तो आप सब खुद ही बहुत हैं ।
धीरज झा
COMMENTS