#मदर्स_डे_स्पैश्ल माँ बनना मुश्किल नहीं माँ हो जाना मुश्किल है 😊 माँ कोई ख़ास नही हैं । आम ही हैं ये जो आम सी उछलती कूदती शोर मचाती या शा...
#मदर्स_डे_स्पैश्ल
माँ बनना मुश्किल नहीं माँ हो जाना मुश्किल है 😊
माँ कोई ख़ास नही हैं । आम ही हैं ये जो आम सी उछलती कूदती शोर मचाती या शांत चुप चाप तितलियों को निहारती बच्चियाँ या लड़कियाँ आपके आस पास हैं इन्हीं की तरह वो भी आम सी ही हैं । उनका रोज़ सुबह उठना घर साफ़ करना, नाशता और दो टाईम खाना बनाना, सारा दिन काम में उलझे रहने पर भी आपकी फरमाईशों को पूरा करते रहना, ये सब कोई बहुत ख़ास बात नहीं है जिसके लिए आप उन्हें सबसे महान बना दें । इतना काम तो आपके घर की कामवाली भी मन ही मन आपको कोसते हुए कर देती है ।
ऐसे तो पिता बेचारे सारा दिन सौ झूठ बोल कर सौ बातें सुन कर मेहनत कर के कमाते हैं फिर उन्हें माँ से ज़्यादा महान क्यों नहीं कहते सब लोग ?
मैं धीरज झा जो हमेशा माँ का गुणगान करता रहता हूँ पिछले छः दिनों से मदर्स वीक मना रहा हूँ वो कह रहा है कि माँ का ये सब करना खास नहीं है । हाँ भई मैं ही कह रहा हूँ मैं तो ये भी कहता हूँ कि माँ का बच्चे को नौ महीने पेट में रखना भी कोई महान काम नहीं है । अब कहोगे तुम रख के दिखाओ अरे यार अगर प्रकृति ने मर्द को इसके लिए चुना होता तो हम भी रखते बच्चे को नौ महीने मगर ये जिम्मा तो महिलाओं को ही सौंपा गया ना । ये सब उनके काम हैं इसके लिए माँ को महान बताना सही कहाँ है भई ।
हाँ मगर माँ महान तो ज़रूर है जानते हैं क्यों ? क्योंकि माँ अपने दायित्व अपने काम अपनी ज़िम्मेदारी को बहुत ही सच्चे मन से निभाती है । उसके लिए ना वो कभी अहसान जताती है ना ही कभी उसका बदला माँगती है । उसके लिए आपको नौ महीने अपने अंदर सहेज कर रखना कोई ज़िम्मेदारी नहीं है बल्कि उसकी सबसे बड़ी खुशी है । ऐसा करना उसके लिए ईश्वर को पा लेने जैसा है । ये उसके मन को सबसे बड़ा सुकून देता है । उसे अच्छा लगता है, ठीक वैसे ही जैसे एक सच्चे फौजी को देश की रक्षा का दायित्व उठाना अच्छा लगता है । जैसे एक सच्चे डाॅक्टर को किसी की जान बचाने का ज़िम्मा सौंपा जाना अच्छा लगता है वैसे ही जैसे एक सच्चे पुजारी या मौलवी को सारा जीवन अपने ईश्वर की सेवा करना अच्छा लगता है । जिसको अच्छा नहीं लगता वो निकाल फेंकती हैं, इसे बोझ समझ कर, इसीलिए वो बस औरत रह जाती हैं आम सी औरत माँ नहीं बन पातीं । माँ महान है क्योंकि उसे ये सब करना बोझ नहीं लगता, माँ महान है क्योंकि उसे आपके लिए काम करते हुए थक कर चूर होने में भी आनंद आता है, माँ महान है क्योंकि उसे माँ होना बोझ नहीं लगता उसे गर्व है अपने माँ होने पर ।
मगर क्या बच्चों को उनके फर्ज़ को निभाना अच्छा लगता है क्या एक बेटा या बेटी अपने औलाद होने का दालित्व सच्चे मन से निभा पाते हैं ? ठीक है आप अमीर है आपकी माँ ए सी के नीचे सोती हैं अच्छा खाती हैं अच्छा पहनती हैं बड़ी गाड़ी में घूमती हैं । हर औलाद यही सुख सुविधाएं अपने स्तर और हैसीयत के मुताबिक अपनी माँ को दे कर गर्व से फूलता है कि उसने अपने बेटे होने का फर्ज़ निभा लिया और यही गर्व से फूलना उसे माँ जैसा महान नहीं बनने देता । कभी बूढ़ी हो रही माँ से पूछा है कि वो अकेले वक्त कैसे काटती है ? वो गाँव में ठीक से है ना ? वो आपके साथ क्यों नहीं रहती ? वो आपसे अपने मन की बात क्यों नहीं कह पाती जैसे आप कह दिया करते थे ? आप ये सब कर भी लें तब भी माँ जैसे महान नहीं हो सकते क्योंकि आप इसे अपनी ज़िम्मेदारी समझ कर बस निभा देंगे ।
एक पिता अपने बच्चों की कामयाबी चाहता है और एक माँ अपने बच्चे की खुशी और यहीं माँ पिता से एक कदम आगे बढ़ कर सबसे महान हो जाती है । दुनिया भले आपको नाकारा समझ ले मगर माँ का यकीन आप पर से तब तक नहीं उठता जब तक आप ने दुनिया का सबसे बुरा कर्म ना कर दिया हो । माँ का आप पर से यकीन उठ जाए तो आप समझ लें कि आप खुद के यचीन के लायक भी नहीं हैं ।
आज मदर्स डे है सभी माँओं के लिए ख़ास दिन अगर कुछ सीखना है तो माँ से सीखिए कि अपने काम को जिया कैसे जाता है अपने कर्तव्यों को बिना बोझ समझे हँस कर कैसे निभाया जाता है । अगर आप ये सीख गए तो अपने काम में ज़रूर महान हो जाएंगे । माँ बनना मुश्किल नहीं है माँ होना मुश्किल है और माँ ईश्वर से बढ़ कर है क्योंकि उसे माँ होना भी मुश्किल नहीं बल्कि गौरवशाली लगता है ।
आज के दिन उन सभी माँओं को नमन जिन्होंने माँ शब्द को बोझ नहीं अपना गर्व समझा और बिना शिकायत मुस्कुराते हुए अपने बच्चे की हर खुशी का ध्यान रखा । और एक सलाम उन चंद बच्चों के नाम जिनके लिए उनकी माँ ज़िम्मेदारी नहीं बल्कि एक खुशी है एक चैन है जिनके लिए उनकी माँ उनकी आत्मा है 😊
धीरज झा
माँ बनना मुश्किल नहीं माँ हो जाना मुश्किल है 😊
माँ कोई ख़ास नही हैं । आम ही हैं ये जो आम सी उछलती कूदती शोर मचाती या शांत चुप चाप तितलियों को निहारती बच्चियाँ या लड़कियाँ आपके आस पास हैं इन्हीं की तरह वो भी आम सी ही हैं । उनका रोज़ सुबह उठना घर साफ़ करना, नाशता और दो टाईम खाना बनाना, सारा दिन काम में उलझे रहने पर भी आपकी फरमाईशों को पूरा करते रहना, ये सब कोई बहुत ख़ास बात नहीं है जिसके लिए आप उन्हें सबसे महान बना दें । इतना काम तो आपके घर की कामवाली भी मन ही मन आपको कोसते हुए कर देती है ।
ऐसे तो पिता बेचारे सारा दिन सौ झूठ बोल कर सौ बातें सुन कर मेहनत कर के कमाते हैं फिर उन्हें माँ से ज़्यादा महान क्यों नहीं कहते सब लोग ?
मैं धीरज झा जो हमेशा माँ का गुणगान करता रहता हूँ पिछले छः दिनों से मदर्स वीक मना रहा हूँ वो कह रहा है कि माँ का ये सब करना खास नहीं है । हाँ भई मैं ही कह रहा हूँ मैं तो ये भी कहता हूँ कि माँ का बच्चे को नौ महीने पेट में रखना भी कोई महान काम नहीं है । अब कहोगे तुम रख के दिखाओ अरे यार अगर प्रकृति ने मर्द को इसके लिए चुना होता तो हम भी रखते बच्चे को नौ महीने मगर ये जिम्मा तो महिलाओं को ही सौंपा गया ना । ये सब उनके काम हैं इसके लिए माँ को महान बताना सही कहाँ है भई ।
हाँ मगर माँ महान तो ज़रूर है जानते हैं क्यों ? क्योंकि माँ अपने दायित्व अपने काम अपनी ज़िम्मेदारी को बहुत ही सच्चे मन से निभाती है । उसके लिए ना वो कभी अहसान जताती है ना ही कभी उसका बदला माँगती है । उसके लिए आपको नौ महीने अपने अंदर सहेज कर रखना कोई ज़िम्मेदारी नहीं है बल्कि उसकी सबसे बड़ी खुशी है । ऐसा करना उसके लिए ईश्वर को पा लेने जैसा है । ये उसके मन को सबसे बड़ा सुकून देता है । उसे अच्छा लगता है, ठीक वैसे ही जैसे एक सच्चे फौजी को देश की रक्षा का दायित्व उठाना अच्छा लगता है । जैसे एक सच्चे डाॅक्टर को किसी की जान बचाने का ज़िम्मा सौंपा जाना अच्छा लगता है वैसे ही जैसे एक सच्चे पुजारी या मौलवी को सारा जीवन अपने ईश्वर की सेवा करना अच्छा लगता है । जिसको अच्छा नहीं लगता वो निकाल फेंकती हैं, इसे बोझ समझ कर, इसीलिए वो बस औरत रह जाती हैं आम सी औरत माँ नहीं बन पातीं । माँ महान है क्योंकि उसे ये सब करना बोझ नहीं लगता, माँ महान है क्योंकि उसे आपके लिए काम करते हुए थक कर चूर होने में भी आनंद आता है, माँ महान है क्योंकि उसे माँ होना बोझ नहीं लगता उसे गर्व है अपने माँ होने पर ।
मगर क्या बच्चों को उनके फर्ज़ को निभाना अच्छा लगता है क्या एक बेटा या बेटी अपने औलाद होने का दालित्व सच्चे मन से निभा पाते हैं ? ठीक है आप अमीर है आपकी माँ ए सी के नीचे सोती हैं अच्छा खाती हैं अच्छा पहनती हैं बड़ी गाड़ी में घूमती हैं । हर औलाद यही सुख सुविधाएं अपने स्तर और हैसीयत के मुताबिक अपनी माँ को दे कर गर्व से फूलता है कि उसने अपने बेटे होने का फर्ज़ निभा लिया और यही गर्व से फूलना उसे माँ जैसा महान नहीं बनने देता । कभी बूढ़ी हो रही माँ से पूछा है कि वो अकेले वक्त कैसे काटती है ? वो गाँव में ठीक से है ना ? वो आपके साथ क्यों नहीं रहती ? वो आपसे अपने मन की बात क्यों नहीं कह पाती जैसे आप कह दिया करते थे ? आप ये सब कर भी लें तब भी माँ जैसे महान नहीं हो सकते क्योंकि आप इसे अपनी ज़िम्मेदारी समझ कर बस निभा देंगे ।
एक पिता अपने बच्चों की कामयाबी चाहता है और एक माँ अपने बच्चे की खुशी और यहीं माँ पिता से एक कदम आगे बढ़ कर सबसे महान हो जाती है । दुनिया भले आपको नाकारा समझ ले मगर माँ का यकीन आप पर से तब तक नहीं उठता जब तक आप ने दुनिया का सबसे बुरा कर्म ना कर दिया हो । माँ का आप पर से यकीन उठ जाए तो आप समझ लें कि आप खुद के यचीन के लायक भी नहीं हैं ।
आज मदर्स डे है सभी माँओं के लिए ख़ास दिन अगर कुछ सीखना है तो माँ से सीखिए कि अपने काम को जिया कैसे जाता है अपने कर्तव्यों को बिना बोझ समझे हँस कर कैसे निभाया जाता है । अगर आप ये सीख गए तो अपने काम में ज़रूर महान हो जाएंगे । माँ बनना मुश्किल नहीं है माँ होना मुश्किल है और माँ ईश्वर से बढ़ कर है क्योंकि उसे माँ होना भी मुश्किल नहीं बल्कि गौरवशाली लगता है ।
आज के दिन उन सभी माँओं को नमन जिन्होंने माँ शब्द को बोझ नहीं अपना गर्व समझा और बिना शिकायत मुस्कुराते हुए अपने बच्चे की हर खुशी का ध्यान रखा । और एक सलाम उन चंद बच्चों के नाम जिनके लिए उनकी माँ ज़िम्मेदारी नहीं बल्कि एक खुशी है एक चैन है जिनके लिए उनकी माँ उनकी आत्मा है 😊
धीरज झा
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