#पर्यावरण_दिवस_समारोह भेड़ के झुंड की तरह भीड़ पंडाल में डटी हुई थी । फर्क इतना ही था कि भीड़ कुर्सियों पर बैठी थी । मौका था पर्यावरण दिवस पर ...
#पर्यावरण_दिवस_समारोह
भेड़ के झुंड की तरह भीड़ पंडाल में डटी हुई थी । फर्क इतना ही था कि भीड़ कुर्सियों पर बैठी थी । मौका था पर्यावरण दिवस पर नेता जी के हाथों पेड़ लगाने का और प्रकृति के बारे में उनके मुख से कुछ अनमोल वचन सुनने का । सस्ता सा साऊंड बाॅक्स अपनी पूरी ताकत लगा कर यह गीत गा रहा था "पर्यावरण से प्रदूषण को दूर भगाएंगे, हर तरह के धुएं को हम जड़ से मिटाएंगे" ।
साऊंड बाॅक्स को बिना अहमीयत दिए भीड़ अपने आप में मशगुल थी, तभी नेता जी ने चरवाहे की भूमिका निभाते हुए "अर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्र हट" के स्थान पर पढ़ी लिखी भीड़ को भाषण सुनाते हुए कहा "प्रकृति, जी हाँ प्रकृति मतलब ये हवा ये पंछी ये वातावरण । और इस प्रकृति की आत्मा है यह पेड़ पौधे । क्या कारण है कि पहले के लोग मीलों पैदल चल लेते थे बिना किसी दिक्कत के और आज दो कदम चल कर हमारी सांस फूलने लगती । जी इन सबका कारण है पेड़ों की कटाई ।"
इसी तरह के कीमती शब्दों को नेता जी लाऊडस्पीकर की तेज आवाज़ में लगभग पंद्रह मिनट तक जनता पर लुटाते रहे और जनता निहाल हो कर इन शब्दों को लूटती रही । इसके बाद नेता जी ने अपने हाथों से वह एक पेड़ लगाया जिसे जल्दबाज़ी में आज ही सुबह कहीं से उखाड़ कर लाया गया था । वृक्षारोपण की जगह आप इसे वृक्ष स्थानांतरण कह सकते हैं । नेता जी की तर्ज पर ही दस बारह इसी तरह के पर्यावरण प्रमियों ने भी दस बारह पेड़ इधर उधर से उखाड़ कर रोपे और गर्व से सीना फुला कर घर चले गये ।
नेता जी के पी ए ने गाड़ी की तरफ बढ़ते हुए नेता जी को बताया कि सिंघल साहब बार बार फोन कर के अपने काम के बारे में पूछ रहे हैं । क्या जवाब दूँ ।
"सिंघलवा का दिमाग हिल गया है । इतना जल्दी कैसे पूरे का पूरा जंगल काट दें । इन सब में टाईम तो लगता ही है । आखिर हमारा भी तो करोड़ों रुपईया फंसा है । उसको बोलो कि उस जंगल को इंडस्ट्रियल एरिया में लाने का प्रयास कर रहे हैं । थोड़ा सबर और करें काम हो जाएगा " नेता जी ने मुंह भर गुटखा का पीक सड़क पर फेंकते हुए एक सिगरेट सुलगा ली ।
पर्यावरण दिवस का समारोह समाप्त हुआ । वहाँ आई भीड़ द्वरा बुनिया समौसा खाने के बाद फेंके गईं प्लास्टिक की प्लेटें और गिलास उस पंडाल की शोभा बड़ा रही थीं । माली वाॅच मैन तथा बाकी मजदूर काम करते करते थक गए थे नेता जी के जाते ही सबने छांह में बैठ कर बीड़ी सुलगा ली । आठ दस बीड़ी का धुआँ गाँव के रस्ते में पड़ने वाली चिमनी की याद दिलाता है ।
वो कहाँ गया ? अरे वो फ्लैक्स जिस पर लिखा था पेड़ लगाएं पर्यावरण बचाएं । अच्छा वो रहा कचरे में ।
चलिए हम भी चलते हैं कुछ लोग जा रहे हैं उनके साथ उनकी बाईक पर चले जाएंगे । अरे कोई ना थोड़ा ज़्यादा धुआं ही तो उगलती है, हमको कौन सा ज़्यादा दूर जाना है ।
अरे ये क्या ये तो अपने प्लाॅट की तरफ जा रहे हैं । अच्छा हुआ सारा पेड़ काट कर सपाट कर दिया । कितना सुंदर काॅलोनी बनेगा अब यहाँ । पहले तो जंगल जैसा हो गया था ।
खैर हम सब को इस से क्या हम तो आपको पर्यावरण दिवस का शुभकामना देने आए थे । और सुनिए पेड़ भले मत लगाईए बस जितना है उसे ही बचा लीजिए तो एक लाख । राम राम
धीरज झा
भेड़ के झुंड की तरह भीड़ पंडाल में डटी हुई थी । फर्क इतना ही था कि भीड़ कुर्सियों पर बैठी थी । मौका था पर्यावरण दिवस पर नेता जी के हाथों पेड़ लगाने का और प्रकृति के बारे में उनके मुख से कुछ अनमोल वचन सुनने का । सस्ता सा साऊंड बाॅक्स अपनी पूरी ताकत लगा कर यह गीत गा रहा था "पर्यावरण से प्रदूषण को दूर भगाएंगे, हर तरह के धुएं को हम जड़ से मिटाएंगे" ।
साऊंड बाॅक्स को बिना अहमीयत दिए भीड़ अपने आप में मशगुल थी, तभी नेता जी ने चरवाहे की भूमिका निभाते हुए "अर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्र हट" के स्थान पर पढ़ी लिखी भीड़ को भाषण सुनाते हुए कहा "प्रकृति, जी हाँ प्रकृति मतलब ये हवा ये पंछी ये वातावरण । और इस प्रकृति की आत्मा है यह पेड़ पौधे । क्या कारण है कि पहले के लोग मीलों पैदल चल लेते थे बिना किसी दिक्कत के और आज दो कदम चल कर हमारी सांस फूलने लगती । जी इन सबका कारण है पेड़ों की कटाई ।"
इसी तरह के कीमती शब्दों को नेता जी लाऊडस्पीकर की तेज आवाज़ में लगभग पंद्रह मिनट तक जनता पर लुटाते रहे और जनता निहाल हो कर इन शब्दों को लूटती रही । इसके बाद नेता जी ने अपने हाथों से वह एक पेड़ लगाया जिसे जल्दबाज़ी में आज ही सुबह कहीं से उखाड़ कर लाया गया था । वृक्षारोपण की जगह आप इसे वृक्ष स्थानांतरण कह सकते हैं । नेता जी की तर्ज पर ही दस बारह इसी तरह के पर्यावरण प्रमियों ने भी दस बारह पेड़ इधर उधर से उखाड़ कर रोपे और गर्व से सीना फुला कर घर चले गये ।
नेता जी के पी ए ने गाड़ी की तरफ बढ़ते हुए नेता जी को बताया कि सिंघल साहब बार बार फोन कर के अपने काम के बारे में पूछ रहे हैं । क्या जवाब दूँ ।
"सिंघलवा का दिमाग हिल गया है । इतना जल्दी कैसे पूरे का पूरा जंगल काट दें । इन सब में टाईम तो लगता ही है । आखिर हमारा भी तो करोड़ों रुपईया फंसा है । उसको बोलो कि उस जंगल को इंडस्ट्रियल एरिया में लाने का प्रयास कर रहे हैं । थोड़ा सबर और करें काम हो जाएगा " नेता जी ने मुंह भर गुटखा का पीक सड़क पर फेंकते हुए एक सिगरेट सुलगा ली ।
पर्यावरण दिवस का समारोह समाप्त हुआ । वहाँ आई भीड़ द्वरा बुनिया समौसा खाने के बाद फेंके गईं प्लास्टिक की प्लेटें और गिलास उस पंडाल की शोभा बड़ा रही थीं । माली वाॅच मैन तथा बाकी मजदूर काम करते करते थक गए थे नेता जी के जाते ही सबने छांह में बैठ कर बीड़ी सुलगा ली । आठ दस बीड़ी का धुआँ गाँव के रस्ते में पड़ने वाली चिमनी की याद दिलाता है ।
वो कहाँ गया ? अरे वो फ्लैक्स जिस पर लिखा था पेड़ लगाएं पर्यावरण बचाएं । अच्छा वो रहा कचरे में ।
चलिए हम भी चलते हैं कुछ लोग जा रहे हैं उनके साथ उनकी बाईक पर चले जाएंगे । अरे कोई ना थोड़ा ज़्यादा धुआं ही तो उगलती है, हमको कौन सा ज़्यादा दूर जाना है ।
अरे ये क्या ये तो अपने प्लाॅट की तरफ जा रहे हैं । अच्छा हुआ सारा पेड़ काट कर सपाट कर दिया । कितना सुंदर काॅलोनी बनेगा अब यहाँ । पहले तो जंगल जैसा हो गया था ।
खैर हम सब को इस से क्या हम तो आपको पर्यावरण दिवस का शुभकामना देने आए थे । और सुनिए पेड़ भले मत लगाईए बस जितना है उसे ही बचा लीजिए तो एक लाख । राम राम
धीरज झा
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