अपना ख़याल रखिएगा अच्छा चलिए तो अब चलता हूँ आप अपना अच्छे से ख़याल रखिएगा जो अब मिला है क्या मुझ से बेहतर है ज़हन में हमेशा ये सवाल रखिएगा ...
अपना ख़याल रखिएगा
अच्छा चलिए तो अब चलता हूँ आप अपना अच्छे से ख़याल रखिएगा
जो अब मिला है क्या मुझ से बेहतर है ज़हन में हमेशा ये सवाल रखिएगा
आप टूट कर बिखर रहे थे मैने संभाल कर आपको ऊँचे तख़्त पर सजा दिया
मैं अब रहूँ ना रहूँ आप खुद की शख्सीयत में हमेशा उछाल रखिएगा
याद रखिएगा हमेशा कि खुद को अलाव बना कर गर्माहट दी है आपको
सर्दी कितनी भी पड़े मगर अपने लहू में आप हमेशा उबाल रखिएगा
जब मिला था आप से ज़ुबाँ जमी हुई और लफ्ज़ अधमरे थे आपके
मैने बामुश्किल से लफ्ज़ों में जान फूंकी है तो अब बेबाक बोलने की मजाल रखिएगा
मैं फ़कीर था फिर भी लुट गया था आपकी सादगी को देख कर
पास आपके कुछ रहे ना रहे बस अपनी सीरत में हमेशा सादगी भरा कमाल रखिएगा
धीरज झा
अच्छा चलिए तो अब चलता हूँ आप अपना अच्छे से ख़याल रखिएगा
जो अब मिला है क्या मुझ से बेहतर है ज़हन में हमेशा ये सवाल रखिएगा
आप टूट कर बिखर रहे थे मैने संभाल कर आपको ऊँचे तख़्त पर सजा दिया
मैं अब रहूँ ना रहूँ आप खुद की शख्सीयत में हमेशा उछाल रखिएगा
याद रखिएगा हमेशा कि खुद को अलाव बना कर गर्माहट दी है आपको
सर्दी कितनी भी पड़े मगर अपने लहू में आप हमेशा उबाल रखिएगा
जब मिला था आप से ज़ुबाँ जमी हुई और लफ्ज़ अधमरे थे आपके
मैने बामुश्किल से लफ्ज़ों में जान फूंकी है तो अब बेबाक बोलने की मजाल रखिएगा
मैं फ़कीर था फिर भी लुट गया था आपकी सादगी को देख कर
पास आपके कुछ रहे ना रहे बस अपनी सीरत में हमेशा सादगी भरा कमाल रखिएगा
धीरज झा
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