मुझे लिखना है लिखते जाना है लिख लिख कर कर देने हैं ज़िंदगी के सारे काग़ज़ काले नीले और लाल जीवन के मरन तक आँसुओं की मुस्कुराहटों तक...
मुझे लिखना है
लिखते जाना है
लिख लिख कर
कर देने हैं ज़िंदगी के सारे काग़ज़
काले नीले और लाल
जीवन के मरन तक
आँसुओं की मुस्कुराहटों तक
रुदन के अटहासों तक
लाशों के अहसासों तक
मुझे सब कुछ लिखना है
और तब तक लिखना है
जब तक मैं पा ना लूँ कई सम्मान
पीठ से गर्दन तक सभी सम्मान
और तब मैं इंतज़ार करूं
किसी अमानवीय घटना का
जिसमें लाशों को देख
सिर्फ लाशें आँसू बहाएं
कटी गर्दनों को कोई हाथ ना लगाए
औरतों का सिंदूर भू पर हो पटा हुआ
कलेजा निकल कर हो मुंह से सटा हुआ
तब कड़ी निंदाओं के बीच
मैं अपने अनेक सम्मानों में से
एक सम्मान लौटा कर करूं रोष
खुद को बनाकर देशभक्त सच्चा
बाकि सभी पर मढ़ दूं सारा दोष
हाँ मगर यह सम्मान सिर्फ लौटाया जाएगा
सिर्फ मेरे धर्म और जाति पर हुए
अन्याय के लिए
मेरे रोष में कोई जगह ना होगी
किसी बेसहारा और असहाय के लिए
तब तक सम्मान के इंतज़ार में
विराम पर रहेगा मेरा विरोध
नाम के बिना भला क्या रंग दिखा सकता है
मेरा बेईमानी से भरा झूठा क्रोध
धीरज झा
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