#कुछ_लोग_ऐसे_भी (इस'की' और उस'की कहानी) "अरे अरे, कितने निर्दयी हो तुम ! क्या इतनी बेरहमी से भी कोई किसी को मारता है ?&quo...
#कुछ_लोग_ऐसे_भी (इस'की' और उस'की कहानी)
"अरे अरे, कितने निर्दयी हो तुम ! क्या इतनी बेरहमी से भी कोई किसी को मारता है ?" उस'ने' इ'से' कुत्ते को लतियाते देख कर ( दुःख में लिपटे ) क्रोध से भर कर पूछा
"अरे यार मुझे काटने दौड़ा था, मारता नहीं तो काट लेता ।" इस'ने' भी सर्फ एक्सल से धुली चमकदार सफाई दी
"तो क्या हुआ, थोड़ी सी पीड़ा के डर से तुम इस बेज़ुबान को मारोगे ? मानव का कर्म है अपने से कमज़ोर की रक्षा करना । और वैसे भी कैसे कह सकते हो कि ये काटने ही दौड़ा था ? क्या पता खेल रहा हो ।" उस'ने' इ'से' लताड़ लगाई ।
"अरे यार पागल हो क्या ? इस जैसे कितने कुत्ते पहले भी कईयों को काट चुके हैं और ये भी मेरी तरफ झपटा था, तो मैने बचाव किया ।" इस'ने' भी खिज कर कहा
"आगये अपनी औकात पर, हुंह, तुम साले ज़लील बस किसी को गाली ही दे सकते हो । सुअर कहीं के । तुम खुद कितने समझदार हो जजो इसे कुत्ता कह कर गाली दे रहे हो । इसका भी नाम होगा कोई, उस नाम से बुलाओ । वैसे भी औरों ने काटा तो क्या ये भी काट लेता ? तुम ज़रा इंतज़ार करते ये काटता तब चिल्लाते, ऐसे मारने की क्या ज़रूरत थी ?" इस'के' द्वारा कुत्ते को कुत्ता कहे जाने पर और 'पागल' वाली गाली पर उस'ने' अपने शालीन शब्दों में इस'की' गलती इ'से' दिखाई और समझाया
"अब कुत्ते को कुत्ता ही कहूंगा ना ? इसका नाम कहाँ से ढूंढूं ? और मैं इतना मुर्ख नहीं कि इसके काटने का इंतज़ार करूं ।"
"नहीं कुत्ते को कुत्ता नहीं कह सकते भले वो तुमको काट खाये ।"
बहस करने से अच्छा इस'ने' यहाँ से चले जाना समझा । उसके बाद उस'ने' इसकी हर जगह चुगली लगाई, सबको इसके हैवानियत की दास्तान सुनाई । बढ़ चढ़ कर विरोध किया ।
सालों साल इसी तरह चलता रहा । फिर एक दिन वो शांत हो गया । कहीं नहीं दिखता, किसी से कुछ नहीं कहता । इस'ने' सोचा चलो उस'का' पता ले कर आया जाए ।
उस'के' घर पहुंचा तो देखा मातम पसरा था और थोड़ी थोड़ी देर बाद उस मातम को टोक जाती थी उसकी बीवी की दर्दनाक चीख़ें । भीड़ को हटा कर जब ये आगे गया, तो देखा वो बड़बोला, महान उपदेश्क, वो पशु प्रेमी निर्जीव अवस्था में पड़ा है ।
ये बहुत दुःखी हुआ क्योंकि उस'की' उम्र कुछ खास नहीं थी । इसने सबसे इस असमय मृत्यु का कारण पूछा तो पाया कि वह पशु जो कुत्ता हो कर भी कुत्ता नहीं था, जिसका शायद कोई नाम होगा, जो उसके हिसाब से सभी कुत्तों की तरह काटता नहीं था उसी नकुत्ते ने उसे इस तरह काटा कि ये बाप बाप चिल्लाता हुआ चला गया इस दुनिया से । और वो कुत्ता बाहर ही बैठा था इसके श्राद्ध में होने वाले भोज की जूठी पत्तलें चाटने के लिए ।
धीरज झा
"अरे अरे, कितने निर्दयी हो तुम ! क्या इतनी बेरहमी से भी कोई किसी को मारता है ?" उस'ने' इ'से' कुत्ते को लतियाते देख कर ( दुःख में लिपटे ) क्रोध से भर कर पूछा
"अरे यार मुझे काटने दौड़ा था, मारता नहीं तो काट लेता ।" इस'ने' भी सर्फ एक्सल से धुली चमकदार सफाई दी
"तो क्या हुआ, थोड़ी सी पीड़ा के डर से तुम इस बेज़ुबान को मारोगे ? मानव का कर्म है अपने से कमज़ोर की रक्षा करना । और वैसे भी कैसे कह सकते हो कि ये काटने ही दौड़ा था ? क्या पता खेल रहा हो ।" उस'ने' इ'से' लताड़ लगाई ।
"अरे यार पागल हो क्या ? इस जैसे कितने कुत्ते पहले भी कईयों को काट चुके हैं और ये भी मेरी तरफ झपटा था, तो मैने बचाव किया ।" इस'ने' भी खिज कर कहा
"आगये अपनी औकात पर, हुंह, तुम साले ज़लील बस किसी को गाली ही दे सकते हो । सुअर कहीं के । तुम खुद कितने समझदार हो जजो इसे कुत्ता कह कर गाली दे रहे हो । इसका भी नाम होगा कोई, उस नाम से बुलाओ । वैसे भी औरों ने काटा तो क्या ये भी काट लेता ? तुम ज़रा इंतज़ार करते ये काटता तब चिल्लाते, ऐसे मारने की क्या ज़रूरत थी ?" इस'के' द्वारा कुत्ते को कुत्ता कहे जाने पर और 'पागल' वाली गाली पर उस'ने' अपने शालीन शब्दों में इस'की' गलती इ'से' दिखाई और समझाया
"अब कुत्ते को कुत्ता ही कहूंगा ना ? इसका नाम कहाँ से ढूंढूं ? और मैं इतना मुर्ख नहीं कि इसके काटने का इंतज़ार करूं ।"
"नहीं कुत्ते को कुत्ता नहीं कह सकते भले वो तुमको काट खाये ।"
बहस करने से अच्छा इस'ने' यहाँ से चले जाना समझा । उसके बाद उस'ने' इसकी हर जगह चुगली लगाई, सबको इसके हैवानियत की दास्तान सुनाई । बढ़ चढ़ कर विरोध किया ।
सालों साल इसी तरह चलता रहा । फिर एक दिन वो शांत हो गया । कहीं नहीं दिखता, किसी से कुछ नहीं कहता । इस'ने' सोचा चलो उस'का' पता ले कर आया जाए ।
उस'के' घर पहुंचा तो देखा मातम पसरा था और थोड़ी थोड़ी देर बाद उस मातम को टोक जाती थी उसकी बीवी की दर्दनाक चीख़ें । भीड़ को हटा कर जब ये आगे गया, तो देखा वो बड़बोला, महान उपदेश्क, वो पशु प्रेमी निर्जीव अवस्था में पड़ा है ।
ये बहुत दुःखी हुआ क्योंकि उस'की' उम्र कुछ खास नहीं थी । इसने सबसे इस असमय मृत्यु का कारण पूछा तो पाया कि वह पशु जो कुत्ता हो कर भी कुत्ता नहीं था, जिसका शायद कोई नाम होगा, जो उसके हिसाब से सभी कुत्तों की तरह काटता नहीं था उसी नकुत्ते ने उसे इस तरह काटा कि ये बाप बाप चिल्लाता हुआ चला गया इस दुनिया से । और वो कुत्ता बाहर ही बैठा था इसके श्राद्ध में होने वाले भोज की जूठी पत्तलें चाटने के लिए ।
धीरज झा
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