बाबा राम रहीम निर्दोष है हरियाणा और पंजाब में कल भयानक हिंसा की संभावना है । 144 धारा लग चुकी है, हर चौक चौराहे पर सैनिक बलों की टुकड़ियाँ त...
बाबा राम रहीम निर्दोष है
हरियाणा और पंजाब में कल भयानक हिंसा की संभावना है । 144 धारा लग चुकी है, हर चौक चौराहे पर सैनिक बलों की टुकड़ियाँ तैनात कर दी गयी हैं, आज शाम से बस सेवाएं भी बंद कर दी जाएंगी । ये सब हो रहा है क्योंकि परम पूज्य बाबा गुरमीत सिंह राम रहीम इंसान जी पर एक साध्वी के साथ किये गये यौनशोषण के इल्ज़ाम का फैसला कल यानी 25 अगस्त को होने वाला है ।
इस ब्रह्माण्ड के इकलौते इंसान, गाॅड ऑफ मैसेंजर, लोगों के मसीहा बाबा राम रहीम जी पर ऐसा आरोप लगाते भला किसी को तनिक लज्जा ना आई । ना जाने कहाँ मर खप गयी है लोगों की इंसानियत । बाबा जी एकदम निर्दोष हैं, दोषी अगर हैं तो वो पाँच करोड़ लोग जो अपने पिछवाड़े में लुत्ती लिये हुए तैयार बैठे हैं कि कब बाबा बलात्कारी साबित हों और कब वो हुड़दंग शुरू करें ।
1990 में डेरा सच्चा सौदा की गद्दी संभालने वाले बाबा राम रहीम वैसे तो शुरू से ही सुर्खियों में बने रहे मगर पहली बार इन्हें देश की जनता ने अच्छे तब जाना जब 2007 में सिखों के दशम गुरू गुरू गोविंद सिंह जी की वेशभूषा धारण करने पर इन्हें सिख समुदाय की तरफ से भारी आक्रोश झेलना पड़ा । उसके बाद तो जैसे राम रहीम के काले सच की पोथी परत दर परत खुलती चली गयी ।
2002 में एक अज्ञात लड़की ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी और खुद को डेरा सच्चा सौदा की साध्वी बताते हुए राम रहीम पर यह इल्ज़ाम लगाया कि उसने उसके साथ योनशोषण किया । इस घटना के कुछ दिन बाद ही रणजीत सिंह नामक व्यक्ति की हत्या हो गयी जो उसी साध्वी का भाई था जिसने राम रहीम के खिलाफ़ चिट्ठी लिखी थी । सिखों के द्वारा किये गये भयानक विरोध के बाद बाबा राम रहीम पर लगे सभी हत्याओं और बलात्कार के केसों को मिडिया में खूब उछाला गया । लाखों सिख जो हरियाणा में बस कर बाबा राम रहीम के चेले बने थे उन सब ने बाबा का विरोध करना शुरू कर दिया मगर बाबा ने अपना जाल इतनी दूर तक फैला रखा था कि कुछ लाख चेले विरोधी हो जाने के बाद भी बाबा के चेले चपाटों की गणना में कोई खास फर्क नहीं आया ।
जिस अखबार ने बाबा के खिलाफ लिखा उसके संपादक की गोली मार कर हत्या कर दी गयी, जहाँ बाबा का विरोध किया गया वहाँ उनके चेलों ने हुड़दंग किया गोलियाँ चलाईं । इतना कुछ हुआ मगर राम रहीम को रत्ती बराबर फर्क नहीं पड़ा । वो तो अपनी खुद की फिल्में बनाता रहा और उनके समर्थक बाबा की फिल्मों की मुफ्त में टिकट बाँट कर उनका प्रमोश्न करते रहे ।
इन सभी अपराधों के लिए मैं निजी तौर पर बाबा राम रहीम को दोषी नहीं मानता, भले ही कोर्ट उन्हें कड़ी से कड़ी सज़ा क्यों ना सुना दे मगर वो निर्दोष ही रहेगा । मैं एक आम सा इंसान हूँ , दूसरे की हत्या करना तो दूर मेरी खुद की हत्या कोई दूसरा कर के चला जाए तो भी कोई मेरे लिए बोलने नहीं आएगा । मैं किसी से मार पीट करने से भी डरूंगा कि कहीं मुझे पुलिस ना पकड़ के ले जाए मगर कहीं मेरे करोड़ों चेले चपाटे हो जाएं जो मेरे गलत को भी सही मान कर मेरा अंधा मर्थन करें तो क्यों ना मेरा मन बढ़े क्यों ना मैं इंसान को किड़े मकौड़े समझूँ ।
राम रहीम से कहीं बड़ा दोष उसके चेलों का है जो इंसान को भगवान बना कर उसके गलत में भी उसका पूरा साथ दे रहे हैं और इन्हीं अंधभक्तों की वजह से पूरे देश में ऐसे ऐसे कितने बाबाओं ने देश का हाल बदहाल कर रखा है । भगवान भी ऊपर से बैठा यह सोच कर आँसू बहा रहा होगा कि बड़े चाव से इंसान जैसी खूबसूरत चीज़ बनाई थी मगर ना जाने कैसे ये इंसान से भूतिये कैसे हो गये । लानत है ऐसे ऐसों पर । इन्हें शायद तब ही अक्ल आये जब ऐसे बाबा लोग इनके अपने घर की इज़्जत पर हाथ डालना शुरू कर दें । और अगर ये ना सुधरे तो ऐसा बहुत जल्द ही होगा ।
धीरज झा
हरियाणा और पंजाब में कल भयानक हिंसा की संभावना है । 144 धारा लग चुकी है, हर चौक चौराहे पर सैनिक बलों की टुकड़ियाँ तैनात कर दी गयी हैं, आज शाम से बस सेवाएं भी बंद कर दी जाएंगी । ये सब हो रहा है क्योंकि परम पूज्य बाबा गुरमीत सिंह राम रहीम इंसान जी पर एक साध्वी के साथ किये गये यौनशोषण के इल्ज़ाम का फैसला कल यानी 25 अगस्त को होने वाला है ।
इस ब्रह्माण्ड के इकलौते इंसान, गाॅड ऑफ मैसेंजर, लोगों के मसीहा बाबा राम रहीम जी पर ऐसा आरोप लगाते भला किसी को तनिक लज्जा ना आई । ना जाने कहाँ मर खप गयी है लोगों की इंसानियत । बाबा जी एकदम निर्दोष हैं, दोषी अगर हैं तो वो पाँच करोड़ लोग जो अपने पिछवाड़े में लुत्ती लिये हुए तैयार बैठे हैं कि कब बाबा बलात्कारी साबित हों और कब वो हुड़दंग शुरू करें ।
1990 में डेरा सच्चा सौदा की गद्दी संभालने वाले बाबा राम रहीम वैसे तो शुरू से ही सुर्खियों में बने रहे मगर पहली बार इन्हें देश की जनता ने अच्छे तब जाना जब 2007 में सिखों के दशम गुरू गुरू गोविंद सिंह जी की वेशभूषा धारण करने पर इन्हें सिख समुदाय की तरफ से भारी आक्रोश झेलना पड़ा । उसके बाद तो जैसे राम रहीम के काले सच की पोथी परत दर परत खुलती चली गयी ।
2002 में एक अज्ञात लड़की ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी और खुद को डेरा सच्चा सौदा की साध्वी बताते हुए राम रहीम पर यह इल्ज़ाम लगाया कि उसने उसके साथ योनशोषण किया । इस घटना के कुछ दिन बाद ही रणजीत सिंह नामक व्यक्ति की हत्या हो गयी जो उसी साध्वी का भाई था जिसने राम रहीम के खिलाफ़ चिट्ठी लिखी थी । सिखों के द्वारा किये गये भयानक विरोध के बाद बाबा राम रहीम पर लगे सभी हत्याओं और बलात्कार के केसों को मिडिया में खूब उछाला गया । लाखों सिख जो हरियाणा में बस कर बाबा राम रहीम के चेले बने थे उन सब ने बाबा का विरोध करना शुरू कर दिया मगर बाबा ने अपना जाल इतनी दूर तक फैला रखा था कि कुछ लाख चेले विरोधी हो जाने के बाद भी बाबा के चेले चपाटों की गणना में कोई खास फर्क नहीं आया ।
जिस अखबार ने बाबा के खिलाफ लिखा उसके संपादक की गोली मार कर हत्या कर दी गयी, जहाँ बाबा का विरोध किया गया वहाँ उनके चेलों ने हुड़दंग किया गोलियाँ चलाईं । इतना कुछ हुआ मगर राम रहीम को रत्ती बराबर फर्क नहीं पड़ा । वो तो अपनी खुद की फिल्में बनाता रहा और उनके समर्थक बाबा की फिल्मों की मुफ्त में टिकट बाँट कर उनका प्रमोश्न करते रहे ।
इन सभी अपराधों के लिए मैं निजी तौर पर बाबा राम रहीम को दोषी नहीं मानता, भले ही कोर्ट उन्हें कड़ी से कड़ी सज़ा क्यों ना सुना दे मगर वो निर्दोष ही रहेगा । मैं एक आम सा इंसान हूँ , दूसरे की हत्या करना तो दूर मेरी खुद की हत्या कोई दूसरा कर के चला जाए तो भी कोई मेरे लिए बोलने नहीं आएगा । मैं किसी से मार पीट करने से भी डरूंगा कि कहीं मुझे पुलिस ना पकड़ के ले जाए मगर कहीं मेरे करोड़ों चेले चपाटे हो जाएं जो मेरे गलत को भी सही मान कर मेरा अंधा मर्थन करें तो क्यों ना मेरा मन बढ़े क्यों ना मैं इंसान को किड़े मकौड़े समझूँ ।
राम रहीम से कहीं बड़ा दोष उसके चेलों का है जो इंसान को भगवान बना कर उसके गलत में भी उसका पूरा साथ दे रहे हैं और इन्हीं अंधभक्तों की वजह से पूरे देश में ऐसे ऐसे कितने बाबाओं ने देश का हाल बदहाल कर रखा है । भगवान भी ऊपर से बैठा यह सोच कर आँसू बहा रहा होगा कि बड़े चाव से इंसान जैसी खूबसूरत चीज़ बनाई थी मगर ना जाने कैसे ये इंसान से भूतिये कैसे हो गये । लानत है ऐसे ऐसों पर । इन्हें शायद तब ही अक्ल आये जब ऐसे बाबा लोग इनके अपने घर की इज़्जत पर हाथ डालना शुरू कर दें । और अगर ये ना सुधरे तो ऐसा बहुत जल्द ही होगा ।
धीरज झा
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