#वो_मरने_के_बाद_जी_उठा_सिर्फ_हमारे_लिए (स्वतंत्रता दिवस विशेष) कहानी नहीं प्रणाम है मेरा उस सभी जवानों को जो हमारे असल नायक हैं ***********...
#वो_मरने_के_बाद_जी_उठा_सिर्फ_हमारे_लिए (स्वतंत्रता दिवस विशेष)
कहानी नहीं प्रणाम है मेरा उस सभी जवानों को जो हमारे असल नायक हैं
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"की गल्ल बलजिंदरा, बड़ा उदास जेहा लग रेहाँ ?" तौलिए से हाथ मुंह पोंछते हुए जगदीप ने बलजिंदर का उदास चेहरा देख कर उससे पूछा ।
"ना पाजी, कोई गल नहीं । बस उद्दां ही मन बड़ा उदास जेहा हो रेहा सी ।" बलजिंदर ने बात टालने की कोशिश की मगर टली नहीं ।
"ओ जा ओए, छुट्टी नई मिली तां कर के दिल ही हार गेयां तू तां ।"
"उड़ी बाबा, केतना बार तुम लोगों को सोमझाया कि हिंदी में बात करो । परोंतु तूम लोग सोमझता ही नहीं ।" राॅयल स्टैग की बोतल कंधे पर रखे हुए कमरे में घुसते विसबास बाबू हमेशा की तरह चिढ़ाते हुए बोले ।
"ओ कहीं नहीं तुम्हारी बात कार रहे बिसबास बाबू । बेचारे को छुट्टी नहीं मिली इस लिये उदास है और तुम हो कि इस बख़त भी मजाक कर रहे हो ।" बोतल बिसबास के हाथ से लेते हुए जसपाल ने बोतल की सील तोड़ी ।
"अब होमको क्या पोता कि बोलजिंदर बाबू को भाभी का याद आ रहा है । तोभी तो कहते हूँ हिंदी में बोआत किया करो ।" बिसबास बाबू की शुद्ध हिंदी मुर्दे को भी हंसा दे, बलजिंदर तो सिर्फ उदास ही था ।
"ओ बिसबास बाबू आप ना हमको टामी बिक्की रामू शामू कुछ भी बोल लिया करो, जो आपकी ज़बान को सही लगे पर मेरे नाम की ऐसी तैसी ना किया करो ।" पहले पैग के साथ ही माहौल में मस्तियाँ छाने लगी थीं । कमरा तीनों के ठहाकों से गूंज उठा ।
"अच्छा बलज़िंदर सच्ची तेनू...." जसपाल ने बात आधे में तब छोड़ दी जब उसने अपनी पंजाबी पर बिसबास बाबू को घूरते पाया ।
"साॅरी साॅरी, बिसबास बाबू मैं भूल गया था कि नो पंजाबी, ओनली हिंदी । माई मिस्टेक जी, आई एम सौरी ।" शराब अपना कमाल दिखा रही थी क्योंकि जसपाल की भाषा अब वायाॅ इंग्लैड हो कर निकल रही थी ।
"सोमझदार है, चोलो ओब हिंदी में बोलो, किया बोल रहा तूम ईसको ।" बिसबास बाबू ने क्षमादान देने के बाद जसपाल को बात आगे बढ़ाने का हुकुम दिया और पैग का आखरी घूंट भरने के बाद अपने विचित्र मुंह को कड़वाहट के कारण और विचित्रता से फैला लिया ।
"मै पूछ रहा था इससे कि क्या सच में इसे भाबी की इतनी याद आ रही है ?"
"ओह नहीं पाजी ।" बलजिंदर ने अगला पैग बनाने के लिए नज़रें गिलास पर टिकाये हुए कहा । या शायद वो शर्मा गया था ! पता नहीं क्या था मगर उसकी नज़रें ना उठीं ।
"तो फिर क्यों उदास है, अपने बड़े भाई को बता । योर ब्रादर इज स्टील एलाईव यार ।" जसपाल के अंतिम शब्दों के साथ ही एक आवाज़ आई जिसे किसी ने नहीं सुना । यह अवाज़ शायद क्वीन ऐलीज़ाबेथ के रोने की थी ।
"पाजी पता है, पिछली जब पिछली बार मैं घर गया था ना तब निहाल (बलजिंदर का बेटा ) मुझ से बोला "पापा जी, आप क्या करते हो ?" मैं पहले तो हँसा फिर मैने उसे बताया "बेटा मैं फौजी हूँ ।" वो थोड़ी देर कुछ सोचता रहा और फिर बोला "पापा मतलब आप करते क्या हो ?"
"बेटा हम देश की सेवा करते हैं ।"
"पापा टोनू के पापा डाॅक्टर हैं । वो हमेशा बताता है कि कैसे उसके पापा ने एक मरते हुए बंदे को बचा लिया । और कुलवंत के पापा ना गेम बनाते हैं, मुंबई रहते हैं और जब आते हैं तो कुलवंत के लिए खूब सारी गेम लाते हैं । और भी दोस्त हैं उनके पापा भी इंजीनियर, मैनेजर और पता नु क्या क्या हैं, वो सब हमेशा अपने पापा के काम की बड़ाई करते हैं और मैं जब कहता हूँ मेरे पापा फौजी हैं तो सब कहते हैं 'वहाँ कौन सी रोज लड़ाई होती है और तेरा पापा कौन सा कभी लड़ा है ।' पापा आप कुछ ऐसे क्यों नई बने जिससे मैं भी अपने दोस्तों को बताता कि आपने ये सब बड़े काम किये हैं ।"
"वीर जी, आर्मी में आना मेरा जुनून था । मेरे पापा जी जिद्द पर बैठ गये थे कि तू हमारी खानदानी कपड़े की दुकान ही संभालेगा । कहते थे इकलौता बेटा है मैं नहीं भेजना मौत के मुँह में । पाजी जिसे वो मौत का मुँह कहते थे ना इस मौत के मुँह में आने के लिए एक साल तक घर छोड़ा है मैने, इस मौत के मुँह में आने के लिए मैने अपनों के साथ ही लड़ाईयाँ लड़ी हैं । पाजी ये नौकरी नहीं सनक है मेरी, मेरा जुनून है । मगर उस दिन बड़ा अफ़सोस हुआ कि मैं अपने बच्चे के लिए ही आदर्श नहीं बन पाया । मैने उसे कहा था कि इस बार दिल्ली के लाल किले पर ले जाऊंगा तुझे आज़ादी का जश्न दिखाने और वहाँ तुझे दिखाऊंगा कि तेरे पापा उस सेना का हिस्सा है जिसने 70 सालों तक उस आज़ादी को संभाले रखा है जिसे पाने के लिए ना जाने कितनी माँओं के लाल किताबें छोड़ कर फांसी के तख्ते पर झूल गये । मुझे इसीलिए इस बार घर जाना था पाजी कि मैं अपनी और अपनी सेना की अहमीयत अपने बेटे को समझा सकूँ ।" बलजिंदर की बातों ने तीनों का नशा उतार दिया । जो शराब उन्होंने पी थी वो आँखों से बहने लगी । बिसबास बाबू और जसपाल ने बलजिंदर को गले लगा लिया ।
"ओह तूम उदास काहे होता है बली दादा, होम कोल सोवतोंत्रता दिवोस मनाएगा और उसका भिडियो निहाल को भेजेगा और बतायेगा कि होम लोग देस का सेबा के लिए होमेसा तईयार रहता है और देस का असल हीरो ऊसका पापा ही और उ
ऊसके पापा के साथी ही हैं ।" बलजिंदर और जसपाल मुस्कुरा दिये ।
अगली सुबह
"ओ बिसबास बाबू आ जाओ अब, कमांडर साहब पहुंचने वाले हैं झंडा फहराने के लिए और तुम हो कि दुल्हन की तरह श्रृंगार पिटार में व्यस्त हो ।" अपना हथियार संभालते हुए जसपाल ने बिसबास बाबू को चिढ़ाया ।
"आ गिया आ गिया, तून होड़बोड़ी बहूत कोरता है । चलो ओब । अरे बोलजिंदोर कोहां हे ?" बंकर की तरफ बढ़ते हुए बिसबास बाबू ने जसपाल से पीछा ।
जसपाल कोई जवाब देता उससे पहले एक धमाके के साथ भगदड़ मच गयी । वायरलैस मैसेज आया कि सीमा पर पाँच से सात हथियारबंद आतंकियों की हलचल नोट की गयी है । जवान अलर्ट हो जाएं ।
कुछ देर बाद सभी न्यूज़ चैनल्स पर
"कृष्णा घाटी सेक्टर में हुआ आतंकवादी हमला । जवान बलज़िंदर सिंह ने अपनी जान पर खेल कर आतंकियों को रोका और गोली लगने के बावजूद भी चार आतंकियों को ढेर कर के उनके भारत में घुसने के मनसूबे को किया नाकाम । खुफिया एजैंसियों से खबर मिली है कि ये आतंकी भारत में किसी बड़े आतंकी हमले को अंजाम देने के मक़सद से आए थे मगर भारतीय जवानों खास कर बलजिंदर सिंह की बहादुरी की वजह से वे नाकाम रहे । मगर दुर्भाग्यवश बलजिंदर सिंह इस वक्त ज़िंदगी और मौत से लड़ रहे हैं ।"
"बलजिंदर को होश आगया है मगर खतरा नहीं टला कुछ कहा नहीं जा सकता । वो जसपाल और बिसबास को अंदर बुला रहा है ।" जसपाल और बिसबास बाबू खुद के आँसुओं को रोकते हुए, चेहरे पर झूठी मुस्कुराहट सजाए कमरे में दाखिल हुए ।
"बलजिंदर !" जसपाल ने थरथराती ज़ुबान से उसे पुकारा
"पाजी, तुसी आ...."
"साॅरी बिसबास बाबू, फिर पंजाबी में बोलने वाला था ।" बिसबास ने मुँह घुमा लिया, शायद वो खुद रोक नहीं पा रहा था ।
"पाजी, मुझे पता है, मैने अब नहीं बचना । गोली साली दिल को छू गयी । पाजी आप मेरा एक काम करोगे ?" बलजिंदर ने उस असहनीय दर्द में भी मजबूती से जसपाल का हाथ दबाते हुए कहा ।
"बोल ना वीरे ।" जसपाल खुद को संभालते हुए बोला ।
"फोन निकाल के कैमरा ऑन करो ।" बलजिंदर पीड़ा से भरी मुस्कुराहट के साथ बोला । जसपाल ने भी वैसा ही किया । उसके बाद बलजिंदर बोलने लगा ।
"निहाल, बेटा मैनू पता है, जब तक ये विडियो तेरे पास पहुंचना तब तक तेरा पापा भारत माँ की गोद में चैन से सो गया होगा । बेटा बात बस मेरी होती ना तो मैं कभी तेरे को ये विडियो ना भेजता । मगर बात यहाँ उन सभी जवानों की है जो रात दिन मौत के सामने सीना तान कर खड़े रहते हैं सिर्फ इसलिये की भारत की जनता आज़ाद घूम सके, आज़ादी से रह सके । पुत्तर, जब मेरे को गोली लगी ना तो मैं गिर पड़ा, शायद मर ही गया था । आँखों के आगे अंधेरा छा गया था । ऊंगली हिलाने की भी हिमत नहीं थी । फिर मेरे ख़याल में तू आया और बोला "पापा, तुसी कुछ नहीं कित्ता ? तुसी पहली गोली के साथ ही ढेर हो गये ।" मैने सोचा कि अगर आज मैं ऐसे ही मर गया तो तू कभी जान ही नहीं पाएगा कि एक जवान कैसे एक सच्चा हीरो होता है । मुझ में तभी अचानक से अथाह हिम्मत और ताक़त आगयी । और मैने गोली लगने के बाद भी चार आतंकवादियों को ढेर कर दिया पुत्तर । अब तुम लोग आज़ादी मना सकते हो । पुत्तर अपने दोस्तों से कहना कि तेरा पापा फौजी था और फौजी वो होता है।जो लगभग साँस की डोर छूट जाने के बाद भी लड़ने और दुश्मन को मार गिराने की हिम्मत........।" बलजिंदर खामोश हो गया । कमरे में सन्नाटे ने कोना कोना घेर लिया । बिसबास और जसपाल की सिसकियों ने उस सन्नाटे को तोड़ा और देखते ही देखते दोनों की सिसकियाँ भयानक रुदन में बदल गयीं ।
बलजिंदर जा चुका था । इधर देश आज़ादी का जश्न मना रहा था और उधर बलजिंदर विजय रथ पर सवार साँसों की गुलामी से आज़ाद हो कर मुस्कुराता हुआ जा रहा था ।
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कहानी भले ही काल्पनिक थी मगर सच के उतने ही करीब भी थी । बेश्क हमें सरदार भगत सिंह जैसे देशभक्तों के प्राणों के बलिदान की वजह से आज़ादी मिली मगर उस आज़ादी की सुरक्षा तो बलजिंदर सिंह जैसे जवान ही करते हैं जो दिन रात मौत के सामने सीना ताने खड़े रहते हैं । जनाब, पैसे तो मज़दूरी कर के भी कमाए जा सकते हैं मगर देश के लिए जान देने का जज़्बा कुछ एक सनकियों के दिमाग में ही उपजता।है और उन्हीं सनकियों की वजह से आज हम शान से कहते हैं कि हम आज़ाद भारत के आज़ाद नागरिक हैं । ये जो आए दिन देश में दंगे, हत्याएं, बलात्कार जैसे अपराध करते हैं उन जानवरों को ख़याल नहीं कि देश में आतंक मचाना आसान है मगर देश की सुरक्षा करना कितना कठिन ।
आज स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बधाई के पात्र सिर्फ और सिर्फ जवान हैं जो हमारे द्वारा आज़ादी की कीमत ना समझे जाने पर भी हमारी आज़ादी की रक्षा करते हैं । एक सलाम उन सभी जवानों को जिन्होंने हमारे लिए हमारी सुरक्षा के लिए अपने प्राण गंवाए या अभी भी अपनी जान की बाज़ी लगाए हुए हैं । मैं दिल से नमन करता हूँ भारत के उन महान सपूतों की जिन्होंने अपनी माँओं के आँसुओं तक की परवाह ना करते हुए भारत माता को बचाए रखने का ज़िम्मा उठाया और उसे पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं ।
आप सबको 71वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और मेरी लिस्ट या जान पहचान में जितने भी फौजी भाई हैं उन सब को मेरा बारंबार प्रणाम ।
धीरज झा
कहानी नहीं प्रणाम है मेरा उस सभी जवानों को जो हमारे असल नायक हैं
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"की गल्ल बलजिंदरा, बड़ा उदास जेहा लग रेहाँ ?" तौलिए से हाथ मुंह पोंछते हुए जगदीप ने बलजिंदर का उदास चेहरा देख कर उससे पूछा ।
"ना पाजी, कोई गल नहीं । बस उद्दां ही मन बड़ा उदास जेहा हो रेहा सी ।" बलजिंदर ने बात टालने की कोशिश की मगर टली नहीं ।
"ओ जा ओए, छुट्टी नई मिली तां कर के दिल ही हार गेयां तू तां ।"
"उड़ी बाबा, केतना बार तुम लोगों को सोमझाया कि हिंदी में बात करो । परोंतु तूम लोग सोमझता ही नहीं ।" राॅयल स्टैग की बोतल कंधे पर रखे हुए कमरे में घुसते विसबास बाबू हमेशा की तरह चिढ़ाते हुए बोले ।
"ओ कहीं नहीं तुम्हारी बात कार रहे बिसबास बाबू । बेचारे को छुट्टी नहीं मिली इस लिये उदास है और तुम हो कि इस बख़त भी मजाक कर रहे हो ।" बोतल बिसबास के हाथ से लेते हुए जसपाल ने बोतल की सील तोड़ी ।
"अब होमको क्या पोता कि बोलजिंदर बाबू को भाभी का याद आ रहा है । तोभी तो कहते हूँ हिंदी में बोआत किया करो ।" बिसबास बाबू की शुद्ध हिंदी मुर्दे को भी हंसा दे, बलजिंदर तो सिर्फ उदास ही था ।
"ओ बिसबास बाबू आप ना हमको टामी बिक्की रामू शामू कुछ भी बोल लिया करो, जो आपकी ज़बान को सही लगे पर मेरे नाम की ऐसी तैसी ना किया करो ।" पहले पैग के साथ ही माहौल में मस्तियाँ छाने लगी थीं । कमरा तीनों के ठहाकों से गूंज उठा ।
"अच्छा बलज़िंदर सच्ची तेनू...." जसपाल ने बात आधे में तब छोड़ दी जब उसने अपनी पंजाबी पर बिसबास बाबू को घूरते पाया ।
"साॅरी साॅरी, बिसबास बाबू मैं भूल गया था कि नो पंजाबी, ओनली हिंदी । माई मिस्टेक जी, आई एम सौरी ।" शराब अपना कमाल दिखा रही थी क्योंकि जसपाल की भाषा अब वायाॅ इंग्लैड हो कर निकल रही थी ।
"सोमझदार है, चोलो ओब हिंदी में बोलो, किया बोल रहा तूम ईसको ।" बिसबास बाबू ने क्षमादान देने के बाद जसपाल को बात आगे बढ़ाने का हुकुम दिया और पैग का आखरी घूंट भरने के बाद अपने विचित्र मुंह को कड़वाहट के कारण और विचित्रता से फैला लिया ।
"मै पूछ रहा था इससे कि क्या सच में इसे भाबी की इतनी याद आ रही है ?"
"ओह नहीं पाजी ।" बलजिंदर ने अगला पैग बनाने के लिए नज़रें गिलास पर टिकाये हुए कहा । या शायद वो शर्मा गया था ! पता नहीं क्या था मगर उसकी नज़रें ना उठीं ।
"तो फिर क्यों उदास है, अपने बड़े भाई को बता । योर ब्रादर इज स्टील एलाईव यार ।" जसपाल के अंतिम शब्दों के साथ ही एक आवाज़ आई जिसे किसी ने नहीं सुना । यह अवाज़ शायद क्वीन ऐलीज़ाबेथ के रोने की थी ।
"पाजी पता है, पिछली जब पिछली बार मैं घर गया था ना तब निहाल (बलजिंदर का बेटा ) मुझ से बोला "पापा जी, आप क्या करते हो ?" मैं पहले तो हँसा फिर मैने उसे बताया "बेटा मैं फौजी हूँ ।" वो थोड़ी देर कुछ सोचता रहा और फिर बोला "पापा मतलब आप करते क्या हो ?"
"बेटा हम देश की सेवा करते हैं ।"
"पापा टोनू के पापा डाॅक्टर हैं । वो हमेशा बताता है कि कैसे उसके पापा ने एक मरते हुए बंदे को बचा लिया । और कुलवंत के पापा ना गेम बनाते हैं, मुंबई रहते हैं और जब आते हैं तो कुलवंत के लिए खूब सारी गेम लाते हैं । और भी दोस्त हैं उनके पापा भी इंजीनियर, मैनेजर और पता नु क्या क्या हैं, वो सब हमेशा अपने पापा के काम की बड़ाई करते हैं और मैं जब कहता हूँ मेरे पापा फौजी हैं तो सब कहते हैं 'वहाँ कौन सी रोज लड़ाई होती है और तेरा पापा कौन सा कभी लड़ा है ।' पापा आप कुछ ऐसे क्यों नई बने जिससे मैं भी अपने दोस्तों को बताता कि आपने ये सब बड़े काम किये हैं ।"
"वीर जी, आर्मी में आना मेरा जुनून था । मेरे पापा जी जिद्द पर बैठ गये थे कि तू हमारी खानदानी कपड़े की दुकान ही संभालेगा । कहते थे इकलौता बेटा है मैं नहीं भेजना मौत के मुँह में । पाजी जिसे वो मौत का मुँह कहते थे ना इस मौत के मुँह में आने के लिए एक साल तक घर छोड़ा है मैने, इस मौत के मुँह में आने के लिए मैने अपनों के साथ ही लड़ाईयाँ लड़ी हैं । पाजी ये नौकरी नहीं सनक है मेरी, मेरा जुनून है । मगर उस दिन बड़ा अफ़सोस हुआ कि मैं अपने बच्चे के लिए ही आदर्श नहीं बन पाया । मैने उसे कहा था कि इस बार दिल्ली के लाल किले पर ले जाऊंगा तुझे आज़ादी का जश्न दिखाने और वहाँ तुझे दिखाऊंगा कि तेरे पापा उस सेना का हिस्सा है जिसने 70 सालों तक उस आज़ादी को संभाले रखा है जिसे पाने के लिए ना जाने कितनी माँओं के लाल किताबें छोड़ कर फांसी के तख्ते पर झूल गये । मुझे इसीलिए इस बार घर जाना था पाजी कि मैं अपनी और अपनी सेना की अहमीयत अपने बेटे को समझा सकूँ ।" बलजिंदर की बातों ने तीनों का नशा उतार दिया । जो शराब उन्होंने पी थी वो आँखों से बहने लगी । बिसबास बाबू और जसपाल ने बलजिंदर को गले लगा लिया ।
"ओह तूम उदास काहे होता है बली दादा, होम कोल सोवतोंत्रता दिवोस मनाएगा और उसका भिडियो निहाल को भेजेगा और बतायेगा कि होम लोग देस का सेबा के लिए होमेसा तईयार रहता है और देस का असल हीरो ऊसका पापा ही और उ
ऊसके पापा के साथी ही हैं ।" बलजिंदर और जसपाल मुस्कुरा दिये ।
अगली सुबह
"ओ बिसबास बाबू आ जाओ अब, कमांडर साहब पहुंचने वाले हैं झंडा फहराने के लिए और तुम हो कि दुल्हन की तरह श्रृंगार पिटार में व्यस्त हो ।" अपना हथियार संभालते हुए जसपाल ने बिसबास बाबू को चिढ़ाया ।
"आ गिया आ गिया, तून होड़बोड़ी बहूत कोरता है । चलो ओब । अरे बोलजिंदोर कोहां हे ?" बंकर की तरफ बढ़ते हुए बिसबास बाबू ने जसपाल से पीछा ।
जसपाल कोई जवाब देता उससे पहले एक धमाके के साथ भगदड़ मच गयी । वायरलैस मैसेज आया कि सीमा पर पाँच से सात हथियारबंद आतंकियों की हलचल नोट की गयी है । जवान अलर्ट हो जाएं ।
कुछ देर बाद सभी न्यूज़ चैनल्स पर
"कृष्णा घाटी सेक्टर में हुआ आतंकवादी हमला । जवान बलज़िंदर सिंह ने अपनी जान पर खेल कर आतंकियों को रोका और गोली लगने के बावजूद भी चार आतंकियों को ढेर कर के उनके भारत में घुसने के मनसूबे को किया नाकाम । खुफिया एजैंसियों से खबर मिली है कि ये आतंकी भारत में किसी बड़े आतंकी हमले को अंजाम देने के मक़सद से आए थे मगर भारतीय जवानों खास कर बलजिंदर सिंह की बहादुरी की वजह से वे नाकाम रहे । मगर दुर्भाग्यवश बलजिंदर सिंह इस वक्त ज़िंदगी और मौत से लड़ रहे हैं ।"
"बलजिंदर को होश आगया है मगर खतरा नहीं टला कुछ कहा नहीं जा सकता । वो जसपाल और बिसबास को अंदर बुला रहा है ।" जसपाल और बिसबास बाबू खुद के आँसुओं को रोकते हुए, चेहरे पर झूठी मुस्कुराहट सजाए कमरे में दाखिल हुए ।
"बलजिंदर !" जसपाल ने थरथराती ज़ुबान से उसे पुकारा
"पाजी, तुसी आ...."
"साॅरी बिसबास बाबू, फिर पंजाबी में बोलने वाला था ।" बिसबास ने मुँह घुमा लिया, शायद वो खुद रोक नहीं पा रहा था ।
"पाजी, मुझे पता है, मैने अब नहीं बचना । गोली साली दिल को छू गयी । पाजी आप मेरा एक काम करोगे ?" बलजिंदर ने उस असहनीय दर्द में भी मजबूती से जसपाल का हाथ दबाते हुए कहा ।
"बोल ना वीरे ।" जसपाल खुद को संभालते हुए बोला ।
"फोन निकाल के कैमरा ऑन करो ।" बलजिंदर पीड़ा से भरी मुस्कुराहट के साथ बोला । जसपाल ने भी वैसा ही किया । उसके बाद बलजिंदर बोलने लगा ।
"निहाल, बेटा मैनू पता है, जब तक ये विडियो तेरे पास पहुंचना तब तक तेरा पापा भारत माँ की गोद में चैन से सो गया होगा । बेटा बात बस मेरी होती ना तो मैं कभी तेरे को ये विडियो ना भेजता । मगर बात यहाँ उन सभी जवानों की है जो रात दिन मौत के सामने सीना तान कर खड़े रहते हैं सिर्फ इसलिये की भारत की जनता आज़ाद घूम सके, आज़ादी से रह सके । पुत्तर, जब मेरे को गोली लगी ना तो मैं गिर पड़ा, शायद मर ही गया था । आँखों के आगे अंधेरा छा गया था । ऊंगली हिलाने की भी हिमत नहीं थी । फिर मेरे ख़याल में तू आया और बोला "पापा, तुसी कुछ नहीं कित्ता ? तुसी पहली गोली के साथ ही ढेर हो गये ।" मैने सोचा कि अगर आज मैं ऐसे ही मर गया तो तू कभी जान ही नहीं पाएगा कि एक जवान कैसे एक सच्चा हीरो होता है । मुझ में तभी अचानक से अथाह हिम्मत और ताक़त आगयी । और मैने गोली लगने के बाद भी चार आतंकवादियों को ढेर कर दिया पुत्तर । अब तुम लोग आज़ादी मना सकते हो । पुत्तर अपने दोस्तों से कहना कि तेरा पापा फौजी था और फौजी वो होता है।जो लगभग साँस की डोर छूट जाने के बाद भी लड़ने और दुश्मन को मार गिराने की हिम्मत........।" बलजिंदर खामोश हो गया । कमरे में सन्नाटे ने कोना कोना घेर लिया । बिसबास और जसपाल की सिसकियों ने उस सन्नाटे को तोड़ा और देखते ही देखते दोनों की सिसकियाँ भयानक रुदन में बदल गयीं ।
बलजिंदर जा चुका था । इधर देश आज़ादी का जश्न मना रहा था और उधर बलजिंदर विजय रथ पर सवार साँसों की गुलामी से आज़ाद हो कर मुस्कुराता हुआ जा रहा था ।
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कहानी भले ही काल्पनिक थी मगर सच के उतने ही करीब भी थी । बेश्क हमें सरदार भगत सिंह जैसे देशभक्तों के प्राणों के बलिदान की वजह से आज़ादी मिली मगर उस आज़ादी की सुरक्षा तो बलजिंदर सिंह जैसे जवान ही करते हैं जो दिन रात मौत के सामने सीना ताने खड़े रहते हैं । जनाब, पैसे तो मज़दूरी कर के भी कमाए जा सकते हैं मगर देश के लिए जान देने का जज़्बा कुछ एक सनकियों के दिमाग में ही उपजता।है और उन्हीं सनकियों की वजह से आज हम शान से कहते हैं कि हम आज़ाद भारत के आज़ाद नागरिक हैं । ये जो आए दिन देश में दंगे, हत्याएं, बलात्कार जैसे अपराध करते हैं उन जानवरों को ख़याल नहीं कि देश में आतंक मचाना आसान है मगर देश की सुरक्षा करना कितना कठिन ।
आज स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बधाई के पात्र सिर्फ और सिर्फ जवान हैं जो हमारे द्वारा आज़ादी की कीमत ना समझे जाने पर भी हमारी आज़ादी की रक्षा करते हैं । एक सलाम उन सभी जवानों को जिन्होंने हमारे लिए हमारी सुरक्षा के लिए अपने प्राण गंवाए या अभी भी अपनी जान की बाज़ी लगाए हुए हैं । मैं दिल से नमन करता हूँ भारत के उन महान सपूतों की जिन्होंने अपनी माँओं के आँसुओं तक की परवाह ना करते हुए भारत माता को बचाए रखने का ज़िम्मा उठाया और उसे पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं ।
आप सबको 71वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और मेरी लिस्ट या जान पहचान में जितने भी फौजी भाई हैं उन सब को मेरा बारंबार प्रणाम ।
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