' भगत सिंह ' सिर्फ एक नाम, इस नाम के हज़ारों लोग दर दर की ठोकरें खा रहे होंगे । जिनका कोई वजूद नही होगा । मगर ये नाम अमर हो गया, ...
' भगत सिंह ' सिर्फ एक नाम, इस नाम के हज़ारों लोग दर दर की ठोकरें खा रहे होंगे । जिनका कोई वजूद नही होगा । मगर ये नाम अमर हो गया, क्यों ? क्योंकी ये नाम था उस आँधी का उस जज़्बे का जो एक बच्चे के दिल ओ दिमाग में घर कर गया था । बंदूक की खेती करता था कहता था गन्ने की फसल भी ऐसे ही होती है आज एक बंदूक बोऊँगा तो कल हज़ारों उपजेंगी । गुलामी उसे चुभती थी । उसे घुटन भरा लगता था गुलाम देश में साँस लेना । चाहता तो विदेश चला जाता चैन की साँस लेने जैसे आज के कई युवा ये कह कर चले जाते हैं क्या इस देश में सिवाए गरीबी और घुटन के । मगर वो नही गया उसने जिम्मा उठाया अपने साथ करोड़ों देशवासियों को इस घुटन से आज़ादी दिलाने का और जिस उम्र में हम ज़िंदगी को लेकर अपने परिवार को लेकर अभी गंभीर होना सीख रहे होते हैं उस उम्र में फांसी पर झूल गया वो अपनी दोनो माँओं का बच्चा ।
मगर शायद वो पागल था जुनूनी था । उसे बिना सोचे समझे ऐसा नही करना चाहिए था । उसे आज के बुद्धिजीवियों की तरह सोचना चाहिए था की जब कोई नही कर रहा तो मैं अकेला क्यों लड़ूँ और मरूँ । अच्छे घर से था पढ़ता लिखता सरकारी नौकरी करता शादी करता बच्चे होते ऐश की ज़िंदगी जीता मगर ना जुनून खा गया उस बच्चे को । देश को आज़ाद कराने का जुनून । मगर देश आज़ाद फिर भी नही हुआ । आज तक नही हुआ और शायद हो भी ना कभी । पहले राजाओं का गुलाम फिर मुग़लों का फिर अंग्रेज़ों का और अब नेताओं और अपनी गंदी छोटी सोच का ग़ुलाम । वो फाँसी का तख्ता आज भी रोता है उस पागल के लिए कि क्यों मैंने उस वीर को खुद पर लटकने दिया मगर हम पर कौन रोएगा भाई । लोग दो झूठे आंसू बहायेंगे घर जायेंगे खाना खाऐंगे और भूल जाऐंगे ।
वो जन्मा था ज़िन्दगी में अपने मकसद को पूरा करने के लिए और हम पैदा होते हैं अपनी उलझनों में ही उलझ कर दम तोड़ देते हैं । देश गया भाड़ में देश और समाज की हालत गई भाड में । वो कर पाया क्यों कि उसे करना था बिना ये सोचे कि कोई और मेरे साथ चल रहा है या नहीं । भगत सिंह ने ही कहा था प्रेमी , पागल, और कवि एक तरह के ही होते हैं क्योंकी इन्हें वही दिखता है जो इन्हें करना है कौन क्या कहता है क्या सोचता है उस से इन्हें कोई फरक नहीं पड़ता ।
अगर हमें भगत सिंह को असल श्रद्धांजली देनी है अगर हमें उनके बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देना तो हमें खुद से कोई एक बदलाव का संकल्प लेना होगा चाहे वो बदलाव कोई छोटा सा ही क्यों न हो मगर बदलाव करना होगा बिना ये सोचे कोई नहीं कर रहा तो मैं क्यों करूँ । उन्होंने कहा था “ मैं लौट कर आऊंगा “ और अब वक़्त आगया है जब वो हम सब में लौट कर वापिस आएं । वो हम में ही हैं बस ज़रूरत है उन्हें खुद में जिंदा करने की । तो आइये संकल्प लें बदलाव का ।
भारत माँ के वीर सपूत शहीद ए आज़म सरदार भगत सिंह को उनके 110वें जन्मदिवस पर शत शत नमन ।
धीरज झा
Web Title: Hindi, Shaheed a Azam Bhagat Singh, Birthday, Legend, Story
मगर शायद वो पागल था जुनूनी था । उसे बिना सोचे समझे ऐसा नही करना चाहिए था । उसे आज के बुद्धिजीवियों की तरह सोचना चाहिए था की जब कोई नही कर रहा तो मैं अकेला क्यों लड़ूँ और मरूँ । अच्छे घर से था पढ़ता लिखता सरकारी नौकरी करता शादी करता बच्चे होते ऐश की ज़िंदगी जीता मगर ना जुनून खा गया उस बच्चे को । देश को आज़ाद कराने का जुनून । मगर देश आज़ाद फिर भी नही हुआ । आज तक नही हुआ और शायद हो भी ना कभी । पहले राजाओं का गुलाम फिर मुग़लों का फिर अंग्रेज़ों का और अब नेताओं और अपनी गंदी छोटी सोच का ग़ुलाम । वो फाँसी का तख्ता आज भी रोता है उस पागल के लिए कि क्यों मैंने उस वीर को खुद पर लटकने दिया मगर हम पर कौन रोएगा भाई । लोग दो झूठे आंसू बहायेंगे घर जायेंगे खाना खाऐंगे और भूल जाऐंगे ।
वो जन्मा था ज़िन्दगी में अपने मकसद को पूरा करने के लिए और हम पैदा होते हैं अपनी उलझनों में ही उलझ कर दम तोड़ देते हैं । देश गया भाड़ में देश और समाज की हालत गई भाड में । वो कर पाया क्यों कि उसे करना था बिना ये सोचे कि कोई और मेरे साथ चल रहा है या नहीं । भगत सिंह ने ही कहा था प्रेमी , पागल, और कवि एक तरह के ही होते हैं क्योंकी इन्हें वही दिखता है जो इन्हें करना है कौन क्या कहता है क्या सोचता है उस से इन्हें कोई फरक नहीं पड़ता ।
अगर हमें भगत सिंह को असल श्रद्धांजली देनी है अगर हमें उनके बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देना तो हमें खुद से कोई एक बदलाव का संकल्प लेना होगा चाहे वो बदलाव कोई छोटा सा ही क्यों न हो मगर बदलाव करना होगा बिना ये सोचे कोई नहीं कर रहा तो मैं क्यों करूँ । उन्होंने कहा था “ मैं लौट कर आऊंगा “ और अब वक़्त आगया है जब वो हम सब में लौट कर वापिस आएं । वो हम में ही हैं बस ज़रूरत है उन्हें खुद में जिंदा करने की । तो आइये संकल्प लें बदलाव का ।
भारत माँ के वीर सपूत शहीद ए आज़म सरदार भगत सिंह को उनके 110वें जन्मदिवस पर शत शत नमन ।
धीरज झा
Web Title: Hindi, Shaheed a Azam Bhagat Singh, Birthday, Legend, Story
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