गालियों से तालियों की वो लिखेगा कहानी हार के किस्से सुनाएगा जीत की ज़ुबानी साथ जो खड़े न हुए पीछे वो रेहेंगे 'घोंपा था छुरा यह...
गालियों से तालियों की वो लिखेगा कहानी
हार के किस्से सुनाएगा जीत की ज़ुबानी
हार के किस्से सुनाएगा जीत की ज़ुबानी
साथ जो खड़े न हुए पीछे वो रेहेंगे
'घोंपा था छुरा यहीं'
पीठ का निशान देख कर कहेंगे
'घोंपा था छुरा यहीं'
पीठ का निशान देख कर कहेंगे
नीचा नहीं दिखाना बस ऊपर है बढ़ते जाना
इसके वास्ते दर्द कोई भी वो सहेगा
मुस्कुराहटों के साथ दर्द की दास्तां वो कहेगा
इसके वास्ते दर्द कोई भी वो सहेगा
मुस्कुराहटों के साथ दर्द की दास्तां वो कहेगा
भीड़ से अलग चलने की है उसकी आदत पुरानी
वो हार के किस्से सुनाएगा जीत की ज़ुबानी
वो हार के किस्से सुनाएगा जीत की ज़ुबानी
नन्हें से पांव के हौसलों ने पर्वत को हैरान कर दिया है
चींटियों ने हाथियों के झुंड को परेशान कर दिया है
चींटियों ने हाथियों के झुंड को परेशान कर दिया है
बौना है मगर आवाज़ उसकी आसमां तक सुनाई देती है
तूफां का लाल है वो आंधियां बलाएं उसकी लेती हैं
तूफां का लाल है वो आंधियां बलाएं उसकी लेती हैं
मेहनत की कड़ी धूप में उसने तपाई है जवानी
वो हार के किस्से सुनाएगा जीत की ज़ुबानी
वो हार के किस्से सुनाएगा जीत की ज़ुबानी
झोले में रख के सपने वो ज़िंदगी की पाठशाला जाता था
हमउम्र चमका रहे थे किस्मत जब वो लोगों के जूते चमकाता था
हमउम्र चमका रहे थे किस्मत जब वो लोगों के जूते चमकाता था
कर के हाथ काले अपने उसने किस्मत पे लगी जंग मिटाई है
मंज़िल तक जाने की सड़क उसने अपने हाथों से बनाई है
मंज़िल तक जाने की सड़क उसने अपने हाथों से बनाई है
कांटों की सेज पर सोया आंखों से नींद को खोया
बरसते रहे कोड़े उस पर मगर वो बूंद आंसू नहीं रोया
बरसते रहे कोड़े उस पर मगर वो बूंद आंसू नहीं रोया
लगता है ऐसे जैसे सूख गया उसकी आंखों का पानी
वो हार के किस्से सुनाएगा जीत की ज़ुबानी
वो हार के किस्से सुनाएगा जीत की ज़ुबानी
धीरज झा
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