एक 16 साल की लड़की जिसने गरीबों और आदिवासियों के हक़ के लिए बन्दूक उठा ली थी । कहते हैं उसके हाथ में जब तक बन्दूक रही तब तक गरीबों के भोज...
एक 16 साल की लड़की जिसने गरीबों और आदिवासियों के हक़ के लिए बन्दूक उठा ली थी । कहते हैं उसके हाथ में जब तक बन्दूक रही तब तक गरीबों के भोजन कपड़े और सुरक्षा में कोई कमी नहीं आई । बाद में उसने आत्मसमर्पण कर दिया । धीरे धीरे समय बदला और वो लड़की जो महिला बन चुकी थी ने अपनी लोकप्रियता के दम पर राजनीति में कदम रखा ।
आज वो तेलंगाना के मुलुग निर्वचन क्षेत्र से विधायक है । हालांकि जिनके कभी हाथों ने हथियार उठाए हों उनके लिए राजनीति अपनी छवि सुधारने का सबसे सरल रास्ता माना जाता रहा है लेकिन इस विधायक की छवि पहले ही एक देवी के रूप में स्थापित है । आज इनकी बात करने का वाजिब कारण है मेरे पास । आज मीडिया की सुर्खियों में इनका नाम छाया हुआ है ।
नाम है दानसरी अनुसूया, लोग प्यार से सितक्का कहते हैं । सिताक्का सुबह सुबह अपने लाव लश्कर के साथ अपने क्षेत्र में निकाल जाती हैं । उनके साथ राशन होता है । वो राशन जो उन्होंने कुछ दानी सज्जनों के दवर इकट्ठा किया तथा बाक़ी की व्यवस्था खुद की । इस राशन को वह उन आदिवासियों और गरीबों में बांटाती हैं जो इस कोरोना काल में दाने दाने को मोहताज हो गये हैं । सितक्का इन आदिवासियों के साथ भोजन बनती भी हैं और इनके साथ भोजन करती भी हैं ।
जहां तक इन्हें राशन पहुंचाना होता है वहां तक सीधा रस्ता नहीं जाता इसलिए सितक्का काफी दूर पैदल चलती हैं । इसके अलावा मोटरसाइकिल, बैलगाड़ी जो भी मिल जाए उसे ही अपनी सवारी बना लेती हैं । सबसे खास बात ये है कि सितक्का केवल अपने क्षेत्र के लोगों की ही सेवा नहीं कर रहीं बल्कि वह पड़ोसी राज्य आंध्रप्रदेश के कई इलाकों में भी ज़रूरतमंदों को राशन पहुंचाती हैं ।
इस समय जब काल को ग्रास की कमी नहीं तब सबसे ज़्यादा ज़रूरत है इंसानियत की । वो इंसानियत जो उस वर्ग को बचा पाए जिसकी तरफ जल्दी किसी का ध्यान नहीं जाता । हमारी बहस जारी रहेगी, हम किसी के लिए आंसू बहायेंगे तो किसी पर हँसेंगे लेकिन हम याद नहीं रखे जाएंगे । ना आपकी बहस याद रखी जाएगी ना मेरी कहानियां । अगर कुछ याद रहेगा तो सिर्फ सोनू सूद और सितक्का जैसे लोग जो उन लोगों के लिए उम्मीद बन कर सामने आए जिनकी मौत तक हमारे लिए कुछ खास मायने नहीं रखती ।
इस दौर में हर वो शख्स हमारा हीरो है जो इन असहाय लोगों के लिए सहारा बन रहा है फिर भले ही कोई इसे पब्लीसिटी स्टंट कहे या फिर वोट बैंक बढ़ाने का तरीका । फिर भले ही वो शख्स फिल्मों का विलेन हो या फिर आम ज़िंदगी में उसने कभी बन्दूक उठाई हो । फिर चाहे वो किसी भी पार्टी का हो । हमें इस समय सिर्फ उनकी ज़रूरत है जो किसी बच्चे की मरती मां को बचा सके, जो किसी मरते बच्चे को बचा सके, जो किसी की भूख को मारे ना कि किसी को भूख की खुराक होने दे ।
दिल से नमन है इन लोगों को 🙏🙏
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धीरज झा
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