शुरू करेंगे शुरू कर एक डाॅक्टर केवल एक डाॅक्टर ही हो सकता है । एक एम बी ए केवल मैनेज कर सकता है । एक सीए सिर्फ एकाउंटस का जानकार हो सकता है...
शुरू करेंगे शुरू कर
एक डाॅक्टर केवल एक डाॅक्टर ही हो सकता है । एक एम बी ए केवल मैनेज कर सकता है । एक सीए सिर्फ एकाउंटस का जानकार हो सकता है । मगर एक इंजीनियर लेखक से लेकर एक्टर, एक बिज़नसमैन इत्यादि कुछ भी हो सकता है ।
एक भन्नाया हुआ इंजीनियर अपनी इंजीनियरिंग पीरियड में इतना कुछ झेल चुका होता है कि उसे फिर ज़िंदगी की कोई बाधा बड़ी लगती ही नहीं । कारण भी बता देता हूँ आपको और जो कारण बताउंगा ध्यान रहे वो बहुतों के लिए हो सकता है मगर सभी के लिए नहीं ।
अब आप देखिए आई आई टी के लिए तैयारी की तो पिछवाड़ा घिस गया तैयारी करते करते ही । सीट मिली तब तो ठिके है और जदि ना मिली तो बाज़ार में इंजीनियरिंग काॅलेज भरे पड़े हैं । पलकें बिछाए स्वागत कर रहे हैं कि आओ भाई हम तुम्हारा भविष्य बर्बाद साॅरी आबाद करने के लिए तैयार बैठे हैं । लो भईया हो गई बी.टेक्स में एडमिशन । अब आप चाहे कितने भी अमीर हों यहां आते ही आपको इस भीड़ का हिस्सा बन जाना है ।
ऐसी भीड़ जिसमें आपको भाँति भाँति क्लास वाले लौंडे मिंलेंगे । किसी के बाप ने ज़मीन बेच दी होगी ये सोच कर बेटा इंजीनियर बन जाए हम तो पूरा गाँव खरीद लेंगे । किसी के पिता जी ने बहन की शादी ताक पर रख दी होगी ये सोच कर कि अभी बिटिआ की उम्र ही क्या है , छोकरा एक बार इंजीनियर बन जाए फिर तो खुद ही राजे रजवाड़ों में बहन की शादी करवाएगा । मतलब के अधिकतर के बाप ने जुआ खेला होता है जिसमें अपनी तरफ से उन्होने खुद को जीता हुआ करार दे दिया होता है तब ही जब लौंडा पहले दिन इंजीनियरिंग काॅलेज में पैर रखता है ।
"हां जी, हो गया एडमिसन । जी जी, आज पहिला दिन है । अरे अब काहे का चिंता । जिंदगी सेट हो गया उसका । कॉलेज बहुत अच्छा है ।" अब पिता जी को कौन समझाए कि कॉलेज तो सभी अच्छे होते हैं मगर कॉलेज में पढ़ रहे छुट्टे सांढ़...दुआ करेंगे आपका बछड़ा बैल बन जाए और सारा दिन बस कंटोप लगाए सिर्फ पढ़ाई वाली माता को देखता रहे । वैसे ये दुआ यहां काम कहां आती है...खैर उम्मीद पर दुनिया कायम है ।
तो ऐसा होत है इन पिताओं का हाल । अब ऐसे ऐसे साथी होंगे तो बड़े बाप के बिगड़े बेटे भी तंगहाली का दौर झेलना कैसे ना सीख जाएंगे । पर्सनल रूम और गदगदे बिस्तर के बिना ना सोने वाले ये बालक भी कुछ समय में ऐसे हो जाते हैं कि फिर इन्हें राजमहल में रख दो तो भी वैसे और झुग्गी झोंपड़ी में रात काटने को कह दो तो भी वैसे ।
इंग्लिश से ले कर शुद्ध हिंदी की बेहतरीन गालियां सीखते हुए चार साल हो जाते हैं और तब तक इन्होंने खुद में इतना धुआँ और इनतनी तेजाब बेना ली होती है कि कोई रोग का किड़ा ज़्यादा दिन अंदर जी ही नहीं पाता । बाक़ी सीनियरस की फटकार, लैक्चररस की भेजी लानत और रोज़ एक लड़की से मिली रिजेक्शन इनको इस हद तक ढीठ बना देती है की फिर छोटी मोटी इंसल्ट तो ये बंदे फील ही नहीं करते ।
मल्लब कि चार साल में लौंडे ज़िंदगी का हर रंग इतनी गहराई से देख चुके होते हैं कि फिर आगे की ज़िंदगी इन्हें आसान लगती है । छुट्टियों में इंजीनियर बाबू (एडमिशन के साथ ही ये उपनाम मिल जाता है) जब घर आते हैं तो मां के हाथ का वही खाना गपागप खा रहे होते हैं जिसके लिए पहले रोज़ नाक भौं सिकुड़ाते थे । मां की आंखें भर आती हैं, सोचती है कि बेटा कितना समझदार हो गया है । अब भोली मां को कौन समझाए कि समझदार वमझदार कुछ ना हुआ है । ये तो महीने भर का खर्ची 15 दिन में उड़ा देने का नतीजा है । पैसे खतम होने के बाद लाल ने ब्रेड पर प्याज रख के भी खाया है उसे भला मां के खाने में 56 व्यंजन का स्वाद कैसे ना आए ।
भाई साहब दारू पीने के बाद इनका गजब गजब तरह का टाईलेंट जो उछल उछल के बाहर आता है, क्या ही बताएं । कोई गिटार स्ट्रिंग में उलझा होता है, किसी की कलम चल रही होती है, कोई कॉमेडीयन बना हुआ है तो किसी की एक्टिंग चालू है । ऊपर से दोस्तों की वाह वाह दारू में सिगरेट ऐश का काम करती है ।
ये सब देखते हुए इंजीनियरिंग भी इनसे हाथ जोड़ निवेदन करने लगती है कि "भाई मैं तेरे बस की नहीं हूं । तू अपना वाला ही ट्राई कर ।" बताइए इससे ईमानदार कुछ हो सकता है क्या ? लड़के भी समझाया हुआ मान कर ये तय लेते हैं कि हमें इंजीनियर छोड़ कर और क्या बनना है ।
इनसे अलग ये शाही डाॅक्टर लोग, एम बी ए वाले बाबू लोग, सी ए साहब ये सब जेंटुलमैन टाइप होते हैं । एकदम वेल ड्रेस्ड । सलीके से रहना जानते हैं, राॅयलिटी झलकती है । दूसरी तरफ ये फटी जींस और बेढंगे बालों वाले इंजीनियर दारू पीने के बाद तो एक रूम में दस दस जन भी एक दूसरे पर चढ़ कर सो जाते हैं ।
हम वही बेढंगे इंजीनियर हैं साहब जिन्होने ज़िंदगी को इतनी गहराई से पढ़ा कि उसके मायने समझ गए । हाँ ये बात अलग है की इतनी शिद्दत से हमने इंजीनियरिंग पढ़ी होती तो आज इंजीनियरस के बारे में इतना लम्बा ज्ञान पेलने की बजाए किसी बढ़िया से फ्लैट में अपने आलिशान बेड पर फीलिंग रिलैक्स कर रहे होते क्योंकि तब हम बेरोज़गार ना होते ।
खैर जो है सो तो हईऐ है । बाक़ी हैपी इंजीनियरिंग डे है सभी इंजीनियरस को 💐💐💐💐
गलती सलती माफ करिएगा और ना भी माफ करेंगे तो हमरा का कर लेंगे, हम तो ढीठ इंजीनियर हूँ । आपका ही खून जलेगा 😁😁
धीरज झा
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