Mahatma Gandhi, lal bahadur shastri, nathu ram godse, politics, pm modi, gandhi jayandi, shastri ji birthday, emergency, indira gandhi,गांधी जयंती
बात गांधी या शास्त्री की नहीं है, ना ही बात है इनके विचारों की और ना इसकी कि इन्होंने देश के लिए क्या किया । बात है दौर की, समय की, माहौल की । जैसा दौर वैसा इनका सम्मान । ये दौर हम और आप नहीं बनाते बल्कि ये राजनीति बनाती है । असल में राजनीति तय करती है कि आपकी सोच क्या होनी चाहिए, आपको किसे महान बताना चाहिए, आपको किसके सामने शीश झुकाने चाहिए ।
समय के साथ इसका असर बढ़ता रहा है और आगे और भी ज़्यादा बढ़ेगा । एक दौर था जब महात्मा गांधी महान थे, आज गांधी को कई लोग गालियां दे रहे हैं । एक वो समय भी था जब देश के प्रधानमंत्री की संदेही परिस्थितियों में मौत हो गई और इस पर कुछ खास सवाल ना उठाए गए और आज का समय है जब उसी प्रधानमंत्री की जय जयकार हो रही है ।
एक समय ये भी था कि नाथू राम गोडसे को कोर्ट ने हत्या के जुर्म में फांसी की सज़ा सुना दी और एक वक्त ये भी है कि नाथू राम अमर रहे के नारे गूंज रहे हैं, ट्वीटर ट्रेंड कर रहा है । लोग तब भी थे, सोचने की शक्ति तब भी थी, अभिव्यक्ति की आज़ादी तब भी थी, फिर ये 70 साल बाद क्यों इतनी शिद्दत से याद किया जा रहा है इन सब बातों को ?
सब राजनीति है भाई । आप हम समझते हैं ये हमारे विचार हैं, हम अपने मन का सोच रहे हैं मगर हमारा ऐसा सोचना ही गलत है । आज जो हो रहा है वो सब राजनीति का रचा है कल जो हो चुका वो भी राजनीति का रचा था और आगे भी राजनीति ही रचेगी । सत्ता कितनी भी मजबूत हो जाए लेकिन सबसे गुलामी नहीं करवा सकती लेकिन वहीं राजनीति ने हमेशा से सबको गुलाम बना रखा है । यहां तक कि उन्हें भी जो दिन रात क्रांति क्रांति चिल्लाते हैं ।
ये राजनीति ही थी जिसने एक प्रधानमंत्री के अंदर इतना अहम भर दिया कि 21 महीने तक पूरा देश बंद रहा । आज किसान का सड़कों पर उतरना लोकतंत्र की हत्या का प्रतीक माना जाता है, इस हिसाब से उन 21 महीनों में लोकतंत्र को कितनी बार मारा गया होगा ? ये सब भी राजनीति और उसके गुलामों का किया धरा था ।
आज के समय में जिन बातों को गलत ठहराया जा रहा है कभी वो सही थीं, उस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं थी सिवाय विपक्ष के और आज सब उल्टा है । आगे फिर से उल्टा हो जाएगा । असल में यही चक्र है ।
आने वाले समय में पीएम मोदी गांधी होंगे, जिन्होंने अकेले अपने दम पर पड़ोसी देशों को धूल चटाई होगी, भारत को दुनिया भर में एक नई पहचान दिलाई होगी, जिसने देश के लिए अपने परिवार तक को त्याग दिया होगा, जिसके लिए देश की जनता क्या पशु पक्षी भी बहुत मायने रखते रहे होंगे । लोग गाथाएं गाएंगे वैसे ही जैसे आज हम महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरु और बाक़ी सबके लिए गाते हैं । और आने वाली पीढियाँ फिर से इस बात पर लड़ेंगी कि मोदी महान थे या नहीं ।
संभव है तब तक फिर से कोई ऐसा खड़ा हो जाए जो भारत की जनता को नई किस्म की अफ़ीम का स्वाद चाखा दे, जिसकी बात पर सब आंख बंद कर के भरोसा करते हों और वो कहे कि मोदी ने जो किया उसकी वजह से आज हम बुरे दौर से गुज़र रहे हैं । समय भी राजनीति ही है ।
मान लीजिए मेरी बात, जो है सब राजनीति है । आप मैं सब के सब राजनीति के गुलाम हैं । ये जयंती ये पुण्यतिथि ये आज़ादी का दिन ये सब राजनीति तय करती है और आपको हमें सबको मानना पड़ता है ।
हमेशा सबसे सही रहे हैं वे लोग जिन्हें इन सबसे मतलब नहीं रहा । जो भूख के नशे में बेसुध रहे, जिन्हें दो रोटी कमाने से फुर्सत ना रही, जिन्हें फिक्र रही तो सिर्फ़ अपने बच्चों के भविष्य की, जिनकी ज़िंदगीयां 9 से 5 काम और उसके बाद का समय घर परिवार की किसी ना किसी चिंता में कट गया, जिनके लिए किसी बड़ी शख्सियत का जन्मदिन पुण्यतिथि, देश की आज़ादी, इसका संविधान मात्र एक दिन की छुट्टी भर रहे । ऐसे लोगों को राजनीति चाह कर भी ना छू सकी ।
तो भई इसी राजनीति के नाम पर महात्मा गांधी अमर रहें, लाल बहादुर शास्त्री अमर रहें...
धीरज झा
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