social media, Facebook, twitter, WhatsApp, सोशल मीडिया
तीसरा विश्व युद्ध जब भी होगा सोशल मीडिया के कारण ही होगा । विश्व युद्ध ही क्यों दुनिया के सर्वनाश के लिए इस बार ईश्वर भी को ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी । ये सोशल मीडिया खुद ही सब नाश करवा देगी ।
ये मज़ाक की बात नहीं है, आज की कड़वी सच्चाई है जिसे जान सब रहे हैं मगर मान कोई नहीं रहा । ज़मीनी हालात खराब हो सकते हैं लेकिन इतने खराब भी नहीं कि उन्हें सही ना किया जा सके । लेकिन सोशल मीडिया पर हर मुद्दे को इस तरह दिखाया जाता है कि इंसान एक बार के लिए तो सोच लेता है घर में बैठा मेरा बाप भाई ही वो दुश्मन है जिसकी वजह से हमारा देश पिछड़ रहा है ।
अंग्रेज भी ससुरे ये सोच कर पछताते होंगे कि साला ये सोशल मीडिया जैसा हथियार तब क्यों नहीं था जब हम राज कर रहे थे । आपसी एकता की तो पहले से ही लंका लग चुकी थी लेकिन अब तो इस हथियार के कारण ये फूट घर परिवारों, दोस्त रिश्तेदारों तक पहुंच गई है । एक समय था जब लोग अपने अपने विचारों पर बहसते थे, हो हल्ला करते थे लेकिन बैठक से उठते समय वो बहस वहीं छोड़ जाते थे । मतभेद कभी मनभेद में नहीं बदलता था लेकिन आज देख लीजिए अपनों के बीच ही वो लड़ाई ठन गई है कि दुश्मन भी देख देख खुश हो रहा है ।
गांव देहात के अल्पशिक्षितों की बात तो छोड़िए अच्छे अच्छे पढ़े लिखे लोग चरस बोने काटने और खींचने में लगे हुए हैं । इसी आभासी चरस का नशा जब ज़मीन पर दिखता है तो कुछ लोग गर्व से कहते हैं "देखा कहा था ना ऐसा ही होगा ।" अरे ऐसा, जैसे हाल हैं आपके आप देखते जाओ कि कैसा कैसा होता है ।
अब तो ये भी नहीं कह सकते कि ज़मीनी सच्चाई कुछ और है क्योंकि ये फैलाया जा रहा ज़हर ज़मीन की कोख में उतर चुका है, अब ज़हर ही उपज रहा है, लोग ज़हर ही खा रहे हैं और ज़हर ही उगल रहे हैं । किसी का पक्ष भी नहीं ले सकते आप क्योंकि सब की सोच भले ही अलग हो लेकिन काम एक तरह से ही कर रहे हैं ।
ना जाने लोग क्या सोच रहे हैं । अपनी जरूरतें मार कर बच्चों को अच्छा पढ़ा रहे हैं, उनके लिए बड़े सपने देख रहे हैं लेकिन अपने ही हाथों से उनके आने वाले कल के लिए ज़हर के बीज बो रहे हैं । नए दोस्त बनाने, दुनिया के बारे में जानने, दोस्त रिश्तेदारों से जुड़े रहने यही सब सोच के शुरू हुआ ये सोशल मीडिया आज मानवता और एकता की जड़ें काटने में लगा हुआ है ।
बंटे तो हम सदियों से हैं लेकिन थोड़ा बहुत भी जो लगाव बचा था उसे भी खत्म किया जा रहा है । ये चिंता किसी एक मुद्दे, किसी एक देश या एक समुदाय के लिए नहीं है बल्कि ये चिंता है पूरी दुनिया के लिए, पूरी मानवता के लिए ।
खैर छोड़िए बेकार में अपनी ऊर्जा क्यों ही खराब करनी । आप देखिए कि नई खबर क्या आई है । किस तरह से नया बवाल शुरू किया जाए । किसे गाली दी जाए किसे गाली देने के लिए उकसाया जाए ।
ये ज़हर आपको ही मुबारक हो, महादेव भी भला कब तक आपके कल्याण हेतु हलाहल पीते रहेंगे ।
धीरज झा
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