Milkha singh, Flying Sikh, tribute to Milkha Singh, Real Hero
वो लड़का जिसने गोविंदपुरा स्थित अपने घर से 10 किमी दूर अपने स्कूल तक जो दौड़ लगानी शुरू की वो फिर दोबारा कभी नहीं रुका ।
वो लड़का जिसके घर एक बार एक चोर घुस आया और उस चोर का पीछा करते हुए वो इतनी तेज भागा कि उसे लगा जैसे वो चोर का पीछा नहीं कर रहा बल्कि किसी रेस में दौड़ रहा है । यही सोच कर उसने चोर को पीछे छोड़ दिया और खुद उससे बहुत आगे निकल गया । उसकी ये दौड़ फिर कभी नहीं रुकी ।
वो लड़का जो अपनी ज़िंदगी की परेशानियों से इस कदर टूट गया था कि डाकू बनने का पूरा मन बना लिया था । उसने कभी कहा था कि 'पेट खाली हो तो देश के बारे में नहीं सोचा जाता । जब पेट भरा तब मैंने भी देश के बारे में सोचा और देश के लिए दौड़ लगाई ।'
वो लड़का जो फौज में इसलिए भर्ती हुआ क्योंकि उसे भर पेट खाने के लिए मिल सके । उस लड़के का जब पेट भरा तब उसके पैर चले और ऐसे चले कि भारत की झोली में सोने के तमगे ही तमगे जमा कर दिए उसने ।
हम अपने पड़ोसी मुल्क की गल्तियों को शायद इसीलिए भी माफ कर देते हैं क्योंकि उसकी धरती ने हमें इस लड़के जैसे बहुत से नगीने दिए । शायद इसलिए भी कि उसी सरज़मीं पर इस लड़के को फ्लाइंग सिख का नया नाम मिला ।
उस लड़के की दौड़ हमेशा जारी रहेगी । हमारे बीच से चले जाने के बाद भी, क्योंकि उसने कभी रुकना सीखा ही नहीं । वो दौड़ता रहेगा, इतिहास के पन्नों पर, हमारे दिलों में, हमारी यादों में ।
रुकना नहीं है, भागता रह मिल्खा, भागता रह ।
हमारे अंतिम प्रणाम के साथ, अलविदा हमारे हीरो 🙏🙏
धीरज झा
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