Sad story, Love Story, धीरज Jha, जुदाई, बिछड़ना, किस्से, story, You and me
वो सफर में मेरे साथ थी । मेरा हाथ अपने हाथों में थामे हुए, मेरे कंधे पर सिर अपना टिकाए हुए । उसका मेरे साथ होना उन क्षणों में से है जिन्हें मैं चाह कर भी सच नहीं मान सकता, जो हमेशा मेरे लिए एक खूबसूरत सपने की तरह होते हैं । उसके साथ मेरी एक अलग ही दुनिया चलती है । जहां ना रोटी के लिए जाद्दोजहद है, ना सांसों की घटती गिनती का फिक्र, ना पैसे की भूख है ना बिगड़ते हालातों का डर । है तो सुकून और सिर्फ़ सुकून ।
लेकिन आज मेरी इस दुनिया में भी बेचैनी थी । ऐसा लग रहा था जैसे हम पास हो कर भी बहुत दूर हो रहे हैं । मंजिल की तरफ बढ़ते हमारे कदम अब कांपने लगे थे । उसके चेहरे पर मुस्कुराहटों का नाच नहीं बल्कि उदासियों की घेराबंदी थी । उसकी आंखों ने आज इतनी बारिश की थी कि मुझे डर लगने लगा कहीं इस बार दुनिया के हिस्से के सारे बादल इसकी आंखों से हो कर न बह जाएं और फसलों को हमारे नाम पर कुर्बान हो जाना पड़े ।
ये कैसा डर था जो हमें हमारी सबसे बड़ी खुशी नहीं जीने दे रहा था । इसी रास्ते से पहले भी कई बार गुज़रे हैं । वो रोई भी है लेकिन फिर मन को समझाते हुए उसने हर बार मुस्कुरा कर कहा है 'हम फिर जल्दी मिलेंगे ना ।' इस बार उसने ऐसा कुछ नहीं कहा था ।
हम वहां पहुंच चुके थे जहां हमें कभी नहीं पहुंचना था । इस सफर का सारा शोक निकल कर बाहर आ चुका था । चीखें मर चुकी थीं, आंसू सूख चुके थे । हमने एक बार सामने देखा और पाया कि यहां से अब एक नहीं बल्कि दो रास्ते निकलते हैं । यहां से हमें अलग अलग रास्ते पर निकलना है । और फिर कभी वापस लौट के नहीं आना । कमाल था ना, हमने एक साथ सफर तय किया वो भी बिछड़ने के लिए ।
जिस जगह हम बिछड़े वहां की धरती बंजर हो गयी, वहां फिर कभी खुशी की शहनाई नहीं बजी, कोई फूल नहीं खिला और ना ही वहां का आसमान फिर कभी गुलाबी हुआ । ये बिछड़ते प्रेम का अमूक श्राप है जो धीरे धीरे दुनिया को बंजर कर रहा है ।
धीरज झा
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